आशा मुन्नी और रीता कर्तव्यनिष्ठा की पर्याय हैं, नवजात शिशुओं की देखभाल में दी जाती है इनकी मिसाल
महिला सक्तिकरण को लेकर तमाम दावे होते हैं और योजनाएं भी खूब संचालित होती हैं। मगर बिना मातृ एवं शिशु मृत्युदर में कमी लाए इसे कामयाब नहीं कहा जा सकता। इसके लिए गर्भावस्था के दौरान मां का विशेष ख्याल भी रखा जाता है।
वाराणसी, जेएनएन। महिला सक्तिकरण को लेकर तमाम दावे होते हैं और योजनाएं भी खूब संचालित होती हैं। मगर बिना मातृ एवं शिशु मृत्युदर में कमी लाए इसे कामयाब नहीं कहा जा सकता। हर माता-पिता को एक स्वस्थ बच्चे की कामना होती है। इसके लिए गर्भावस्था के दौरान मां का विशेष ख्याल भी रखा जाता है। बावजूद इसके स्वास्थ्य के लिहाज से कुछ न कुछ कमी रह जाती है। इस कमी को पूरा करने के लिए आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर न सिर्फ गर्भावती को बल्कि 2.5 किलोग्राम से कम वजन के बच्चों की निगरानी, फालोअप, डेंजर साइन, रेफरल आदि सेवाएं भी उपलब्ध कराती हैं। ऐसी ही आशा कार्यकर्ता हैं सेवापुरी ब्लाक की मुन्नी तिवारी व रीता देवी, जिनके उल्लेखनीय कार्यों को देखते हुए विगत गणतंत्र दिवस पर जिला प्रशासन ने उनका सम्मान भी किया था।
अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. एके मौर्य ने बताया कि नवजात शिशु की घर पर ही स्वास्थ्य देखभाल और मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए उदेश्य से गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल (एचबीएनसी) कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। प्रत्येक आशा कार्यकर्ता गृह आधारित भ्रमण प्रत्येक बच्चे के जन्म से 42 दिन तक 6 से 7 बार (1, 3, 7, 14, 21, 28, 42) विजिट करती हैं। विजिट के दौरान आशा स्तनपान की सलाह, सामान्य स्वास्थ्य समस्या का निवारण व परामर्श सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) स्तर से करती हैं। साथ ही सुरक्षित प्रसव, स्तनपान, कंगारू मदर केयर व परिवार कल्याण के लिए परामर्श भी देती हैं । इसके लिए प्रत्येक आशा को 6-7 माड्यूल का प्रशिक्षण दिया जाता है ।
कंगारू मदर केयर विधि से दूर कराई हाईपोथॢमया की समस्या
सेवापुरी ब्लाक के छतेरी मानापुरी क्षेत्र में तैनात मुन्नी तिवारी बताती हैं कि उनके क्षेत्र में दो माह पहले एक कम वजन के शिशु का जन्म हुआ था। नवजात को हाईपोथॢमया (ठंडा बुखार) और कराहना की समस्या थी। घर वालों ने नवजात को निजी नॄसग होम में भर्ती कराया गया, जहां कोई इंजेक्शन देकर बच्चे को डिस्चार्ज कर दिया गया। मगर उसकी हालत जस की तस बनी रही। इसके बाद आशा मुन्नी नवजात के घर पहुंची। उन्होंने लगातार चार घंटे तक थोड़े अंतराल पर कंगारू मदर केयर विधि से हाईपोथॢमया की समस्या दूर कराई। इसके बाद बच्चे का तापमान सामान्य हुआ और कराहना भी बंद हो गया। फिर बच्चे ने स्तनपान भी नियमित रूप से शुरू कर दिया।
कम था नवजात का वजन, आंख में था मवाद
सेवापुरी ब्लाक के नवहानीपुर क्षेत्र में तैनात आशा कार्यकर्ता रीता देवी बताती हैं कि करीब चार माह पहले एक कम वजन के बच्चे का उनके क्षेत्र में जन्म हुआ। नवजात के आंख में मवाद था और वह स्तनपान भी ठीक से नहीं कर पा रहा था। रीता वहां पहुंची और नवजात की माता को पर्याप्त स्तनपान के लिए पोजीशन (बच्चे की गोद में स्थिति) और अटेचमेंट (बच्चे द्वारा निप्पल और एरिओला का हिस्सा मुंह में पकडऩा) की सही जानकारी दी। वे नवजात के आंख की नियमित सफाई और दवा लगाने भी वहां जा रही थीं। कुछ ही दिनों में नवजात का स्वास्थ्य ठीक हो गया और वह पूरी तरह स्वस्थ होकर नियमित स्तनपान करने लगा। परिवारीजन घर पर ही इलाज मिलने से बहुत खुश थे।