आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का पूर्वानुमान, पूर्वांचल में बाढ़ में रोकेगा जान-माल का नुकसान
अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) तकनीक बाढ़ की तबाही रोकने में सहायक बनेगी।
वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) तकनीक बाढ़ की तबाही रोकने में सहायक बनेगी। यह तकनीक बाढ़ से प्रभावित होने वाले संभावित क्षेत्रों के बारे में पूर्वानुमान लगाएगी। इससे वहां होने वाली तबाही को समय रहते रोक सकेंगे। पटना व गुवाहाटी में सफलता के बाद गूगल और केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने गंगा बेसिन के अन्य क्षेत्रों में भी इस बार एआइ तकनीक से फोरकास्टिंग की तैयारी की है। इससे प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग को बाढ़ से तबाही रोकने में मदद मिलेगी। केंद्रीय जल आयोग एवं गूगल के बीच दो वर्ष पूर्व इसे लेकर समझौता हुआ था। एक वर्ष पूर्व बारिश के दौरान आयोग व गूगल की ओर से पायलट प्रोजेक्ट के तहत पटना और गुवाहाटी में इस नई तकनीक से संभावित बाढ़ की जानकारी साझा की गई।
सेटेलाइट इमेज की सहायता : आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में डिजिटल एलिवेशन मॉडल (डीईएम) के तहत सेटेलाइट से इमेज लेकर जांचते हैं। इससे पता चल जाता है कि नदी में कितना पानी बढ़ेगा, उस क्षेत्र की मिट्टी की पानी सोखने की क्षमता कितनी है और बाढ़ के पानी का बहाव कितने क्षेत्र को प्रभावित करेगा।
टू डी पर मिलेगी जानकारी : फिलहाल अभी वन-डी (एकल आयाम) के आधार पर बाढ़ की जानकारी मिल पाती है। मगर गूगल के सहयोग से अब टू-डी यानी द्वि आयामी डायमेंशन पर भी इसकी सटीक जानकारी मिलेगी। टू डी से यह पता चलेगा कि पानी कहां तक फैल सकता है।
बाढ़ ने पिछली बार मचाई थी तबाही : पिछले साल ही गंगा सहित कई नदियों में जबर्दस्त बाढ़ से वाराणसी सहित पूर्वाचल में तबाही हुई थी। खासकर वरुणा किनारे सैकड़ों घरों में पानी भरने से गृहस्थी नष्ट हुई। हजारों एकड़ फसल डूब गई थी।
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2525 किमी लंबी दूरी तय करती हैं गंगा
1.6 मिलियन वर्ग किमी गंगा का क्षेत्रफल 11600 वर्ग किमी क्षेत्रफल में
इस बार जांच 12 गुना अधिक क्षेत्र इस वर्ष होगा कवर
- आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से फोरकास्टिंग पर गतवर्ष 90 फीसद सटीक रही। इस वर्ष गंगा व ब्रह्मपुत्र नदी के 11600 वर्ग किमी तक क्षेत्र इस तकनीक से कवर होगा। - शाश्वत राय, अधिशासी अभियंता, केंद्रीय जल आयोग-वाराणसी खंड