वाराणसी के आश्रय स्थलों में व्यवस्था होटलों जैसी, रहने वालों का नामो निशान तक नहीं
वाराणसी में सोने वाले जगह पर लाकर की भी सुविधा थी कि यहां आश्रय लेने वाले अपने सामान सुरक्षित रख सकें। एक में चार तो दूसरे में तीन बेड की व्यवस्था थी। यहां के केयर टेकर विरेंद्र ने बताया कि यहां ज्यादा लोग नहीं आते हैं।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। शनिवार रात के नौ बजे। सिकरौल स्थित शेल्टर होम के प्रवेश द्वार पर पहुंच चुके थे। ठंड चरम पर है। हल्की बूंदा-बांदी भी हो रही है। आलम यह है कि गर्म कपड़े शरीर पर लादने के बाद भी ठंड से शरीर में सिहरन हो रही है।
जो घर में हैं, उनके लिए तो ठीक लेकिन जो खुले आसमान के नीचे हैं, उनकी स्थिति का अंदाजा सहज लगाया जा सकता है। ऐसे ही बेघर व निराश्रितों के लिए शहर के विभिन्न क्षेत्रों में 12 स्थायी शेल्टर होम स्थापित किए गए हैं, ताकि इस कंपकपाती ठंड में कोई खुले आसमान के नीचे न सोए। शेल्टर होम के अंदर दाखिल होने पर नजारा आश्चर्यजनक था। साफ-सफाई के साथ एक हाल में तकरीबन 20 उम्दा बेड पर बिस्तर व कंबल सजे थे। लेकिन यहां पांच लोग सोए मिले। परिसर में अलाव भी जल रहा था।
सोने वाले जगह पर लाकर की भी सुविधा थी कि यहां आश्रय लेने वाले अपने सामान सुरक्षित रख सकें। बगल में दो कमरे महिलाओं के लिए बने थे। एक में चार तो दूसरे में तीन बेड की व्यवस्था थी। यहां के केयर टेकर विरेंद्र ने बताया कि यहां ज्यादा लोग नहीं आते हैं। हालांकि कई दिन 14 से 15 लोगों ने यहां आश्रय लिया था। शेल्टर होम की दूसरी मंजिल पर नजारा बदला दिखा। देख कर किसी निर्माणाधीन हास्पिटल की तरह लगा। जिज्ञासा हुई तो पता चला कि शेल्टर होम के इस हिस्से में कैंसर हास्पिटल का स्टे वार्ड बन रहा है।
कुछ ऐसा ही हाल शिवपुर के परमानंदपुर में स्थित शेल्टर होम का था। यहां की व्यवस्था तो और भी बेहतर नजर आ रही थी। कोविड प्रोटोकाल का पूरा ध्यान दिया गया है। घुसने के साथ ही टेबल पर थर्मल स्कैनर, सैनिटाइजर, आक्सीमीटर व मास्क रखा हुआ था। यही व्यवस्था काउंटर पर भी थी। लेकिन जिनके लिए यह सारी व्यवस्था थी वहीं नदारत थे। महज दो लोगों ने यहां शरण ले रखी है। जबकि 50 लोगों के लिए सोने की व्यवस्था है। रजिस्टर देखने से पता चला कि पूर्व के दो दिनों में सात-सात लोगों ने शरण ली थी। यहां प्रबंधक के अलावा रूटीन में तीन केयर टेकर व एक सफाईकर्मी हैं। फायर फाइटिंग सिस्टम से शेल्टर होम पूरी तरह से लैस है। महिला व पुरुष के अलावा दिव्यांगों के लिए भी अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था है।