बारिश के बीच विद्युत इंजीनियरों व कर्मचारियों ने कुर्सी का छाता बनाकर किया निजीकरण का विरोध
बिजली कर्मियों ने शुक्रवार को प्रबंध निदेशक कार्यालय वाराणसी के बाहर प्रदर्शन किया। इसी बीच तेज बारिश होने लगी। बावजूद इसके प्रदर्शनकारी कुर्सियों का छाता बनाकर वहीं पर रहे।
वाराणसी, जेएनएन। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले वाराणसी के समस्त अभियंताओं एवं बिजलीकर्मियों ने शुक्रवार को तीसरे दिन भी शाम चार बजे के बाद प्रबंध निदेशक कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। इसी बीच तेज बारिश होने लगी। बावजूद इसके प्रदर्शनकारी भागे नहीं बल्कि कुर्सियों का छाता बनाकर वहीं पर डटे रहे।
वक्ताओं ने बताया कि निजीकरण का प्रयोग पूरे देश में अभी तक कहीं भी सफल नहीं हो सका है। निजी क्षेत्र का एक मात्र उद्देश्य सिर्फ लाभ कमाना है जबकि पूर्वांचल विद्युत निगम बिना भेदभाव के किसानों और गरीब उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति कर रहा है। निजी कंपनी अधिक राजस्व वाले वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं को प्राथमिकता पर बिजली देगी।
वक्ताओं ने यह भी बताया कि अभी किसानों, गरीब रेखा से नीचे और 500 यूनिट प्रति माह बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को सब्सिडी मिल रही है, जो निजीकरण के बाद खत्म होगी। बिजली जैसी मूलभूत सुविधा का निजीकरण कभी भी सरकारी क्षेत्र का विकल्प नहीं हो सकता है। बिजली जरूरत को निजी हाथों में सौंपने से प्रदेश के आम विद्युत उपभोक्ताओं के ऊपर विद्युत मूल्य का अतिरिक्त भार बढ़ेगा जो उन्हें वहन करना पडेगा । इसके साथ ही कारपोरेशन एवं सरकार पर वित्तीय नुकसान का कारण भी बने हुए है । यदि सरकार द्वारा पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण का प्रस्ताव वापस नहीं लिया गया और किसी भी कर्मचारी या अभियंता पर दमनात्मक कार्यवाही की गई तो उत्तर प्रदेश के सभी बिजली कर्मचारी एवं अभियंता अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रबंधन एवं सरकार की रहेगी। सभा को चंद्रेशखर चौरसिया, सुनील यादव, आरके वाही, एके श्रीवास्तव, संजय भारती, राजेन्द्र सिंह, डा. आरबी सिंह, मायाशंकर तिवारी, रमन श्रीवास्तव, हेमन्त श्रीवास्तव, रमाशंकर पाल, जगदीश पटेल, वीरेंद्र सिंह,मदन श्रीवास्तव, जिउतलाल, अंकुर पाण्डेय,शिवेंद्र यादव, मनोज कुमार, संतोष वर्मा,अमितानंद त्रिपाठी, संतोष कुमार,आदि वक्ताओं ने संबोधित किया।