बीएचयू : ये क्या! स्वीकृत 50 लाख, टेंडर 42 लाख और काम मात्र 28 लाख में
वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय में टेंडर की प्रक्रिया को लेकर अलग ही मामला सामने आया है। यह अपने आप में चौकाने वाला है।
वाराणसी, जेएनएन। किसी भी प्रोजेक्ट के तहत कार्य करने पर प्रस्तावित राशि में मामूली फेरबदल ही होती है। यूं कहें कि टेंडर प्रक्रिया के बाद राशि घटती नहीं है। इसी में अगर और कोई काम जुड़ जाएं तो राशि और भी ज्यादा बढ़ जाती है, लेकिन बीएचयू में इससे उलट ही मामला है। आइएमएस के न्यू डाक्टर गर्ल्स हास्टल में आठ-आठ टॉयलेट एवं बाथरूम निर्माण में अजीबोगरीब बात निकलकर सामने आई है।
88 लाख से आए 28 लाख पर : मेडिकल की छात्राओं के हास्टल में शौचालय की सुविधा बढ़ाने के लिए 88 लाख रुपये के प्रस्ताव तैयार किया। हालांकि बीएचयू प्रशासन ने बाद में इन कार्यो के लिए 50 लाख राशि स्वीकृत कर दी। इसमें भी तकनीकी मामला है। जानकार बताते हैं कि 50 लाख रुपये से अधिक का कोई काम होता है तो सीपीडब्ल्यूडी के पास चला जाता है। 50 लाख राशि स्वीकृति करने को भी इसी से जोड़ कर देखा जा रहा है। इसी बीच यह निर्माण चर्चा में आया और बीएचयू से विधि स्नातक एवं हाईकोर्ट के अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने सीवीसी (केंद्रीय सतर्कता आयोग) शिकायत कर सवाल खड़ा कर दिया। इसके बाद राशि 88 लाख से घट कर 28 लाख पर आ गई है।
सौरभ की शिकायत पर सीवीसी ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को जांच के लिए अग्रसारित कर दिया। इसके बाद बीएचयू के रजिस्ट्रार से इस मामले में जांच कर कार्रवाई कर पूरी रिपोर्ट मांगी गई। सौरभ ने इस मामले में हुई जांच की पूरी रिपोर्ट आरटीआइ के माध्यम से मांगी। इसमें प्रशासन ने बताया है कि निर्माण मात्र 28.50 लाख रुपये में ही हो गया है। यही नहीं इसी खर्च में बैडमिंटन कोर्ट व सीवर लाइन शिफ्ट कर दिया गया है। सौरभ तिवारी ने कहा कि अगर शिकायत के बाद लीपापोती हुई है तो पूरी ईमानदारी से विशेष जांच होनी चाहिए।