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काशी में बाबा बटुक भैरव का हुआ वार्षिक हरियाली और जल विहार श्रृंगार, दर्शन कर भक्त हुए निहाल

मंदिर के मुख्य द्वार पर थर्मल चेकिंग के बाद सेनेटाइजर से हाथ साफ कराकर ही फिजिकल डिस्टेंसिंग के साथ मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा था फिजिकल डिस्टेंशिंग का पालन करते हुए श्रद्धालु को अपने अआराध्य के तेजपूर्ण स्वरूप के दर्शन कर अपलक निहारते रहे।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 29 Aug 2021 06:50 PM (IST)Updated: Sun, 29 Aug 2021 06:50 PM (IST)
काशी में बाबा बटुक भैरव का हुआ वार्षिक हरियाली और जल विहार श्रृंगार, दर्शन कर भक्त हुए निहाल
श्रद्धालु को अपने अआराध्य के तेजपूर्ण स्वरूप के दर्शन कर अपलक निहारते रहे।

वाराणसी, जेएनएन। कमच्छा स्थित प्राचीन श्री बटुक भैरव मन्दिर में प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष भी बाबा बटुक भैरव जी का रविवार को भव्य हरियाली एवं जल विहार श्रृंगार किया गया। दिव्य नयनाभिराम श्रृंगार झांकी का दर्शन कर श्रद्धालु विभोर हुए।

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प्रातः 5.00 बजे बाबा का पंचामृत स्नान के बाद मंगला आरती हुई। इसी के साथ श्रद्धालुओं द्वारा बाबा बटुक भैरव के दर्शन पूजन का क्रम अनवरत शुरू हो गया। बाबा के अलौकिक बालस्वरूप के दर्शन के लिए भक्त निरन्तर पहुंचते रहे। जहां मंदिर के मुख्य द्वार पर थर्मल चेकिंग के बाद सेनेटाइजर से हाथ साफ कराकर ही फिजिकल डिस्टेंसिंग के साथ मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा था, फिजिकल डिस्टेंस का पालन करते हुए श्रद्धालु को अपने अआराध्य के तेजपूर्ण स्वरूप के दर्शन कर अपलक निहारते रहे। रात्रि 9ः00 बजे बाबा की महा आरती होगी। महन्त राकेश पुरी बाबा की महा आरती 1008 बत्ती वाले दीपदान एवं सवा किलो कपूर से करेंगे। इस दौरान 51 भक्तों द्वारा डमरू बजाया जाएगा।

सूच्य हो कि विगत प्रति वर्षों अग्रणी सामाजिक संस्था संकल्प के द्वारा भजन संध्या का आयोजन किया जाता रहा है, परन्तु कोरोना महामारी के मद्देनजर सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन का पालन करते हुए इस वर्ष यह आयोजन नही किया गया।

श्री बाबा बटुक भैरव के दरबार गर्भगृह एवं मंदिर परिसर में हरियाली श्रृंगार तथा जल बिहार झांकी की सजावट अति भव्य की गई थी। साथ ही मंदिर परिसर के बाहर गुफा रूपी मार्ग बनाया गया था, जहां पक्षी, सांप आदि कैलाश मानसरोवर की जीवन्तता का एहसास करा रहे थे। तो वही गुफा रूपी मुख्यद्वार से ही श्रद्धालुओं को अलौकिक आनन्द प्राप्त हो रहा था। प्रसिद्ध मालियों द्वारा कामिनी की पत्तियों, अशोक की पत्तियों, बेला, गेंदे की माला, फल, गुलाब के फूल की माला द्वारा गर्भगृह, मन्दिर परिसर एवं आसपास सुन्दर सजावट की गई थी। मन्दिर के महंत राकेश पुरी व भास्कर पुरी के दिशा निर्देशन में समस्त कार्यकर्तागण सम्पूर्ण व्यवस्था के संचालन में अनवरत लगे रहे।


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