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Annakoot & Bhaiya Dooj : अन्‍नकूट और भैया दूज की परंपराओं का जानें श्‍ाुभ मुहूर्त और महत्‍व

वाराणसी में त्‍योहाराें और उत्‍सवों का उल्‍लास इन दिनों चरम पर है। शिव की नगरी काशी में दीपावली का आयोजन देव दीपावली तक माना गया है। इस बार अन्‍नपूर्णा देवी को समर्पित अन्‍नकूट और भैया दूज का मान 15 नवंबर रविवार को दीपावली के अगले दिन है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 07 Nov 2020 01:32 PM (IST)Updated: Sat, 07 Nov 2020 01:32 PM (IST)
Annakoot & Bhaiya Dooj : अन्‍नकूट और भैया दूज की परंपराओं का जानें श्‍ाुभ मुहूर्त और महत्‍व
शिव की नगरी काशी में दीपावली का आयोजन देव दीपावली तक माना गया है।

वाराणसी, जेएनएन। त्‍योहाराें और उत्‍सवों की नगरी काशी में दीपावली का आयोजन देव दीपावली तक माना गया है। इस बार अन्‍नपूर्णा देवी को समर्पित अन्‍नकूट और भैया दूज का मान 15 नवंबर, रविवार को दीपावली के अगले दिन है। काशी के ख्‍यात ज्‍योतिषाचार्य विमल जैन के अनुसार इन दोनों आयोजनों के पुण्‍य काल में पूजन की परंपरा निभ्‍ााने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

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अन्नकूट महोत्सव का मान : इस वर्ष 15 नवंबर, रविवार कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि के दिन दिवाली के ठीक अगले दिन मनाया जाएगा। अन्नकूट का पर्व दिवाली के बाद मनाने की धार्मिक मान्यता रही है। इस दिन दिवाली के बाद अनाज को आकर्षक व मनमोहक ढंग से सजाया जाता है। यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। प्रतिपदा तिथि 15 नवंबर रविवार को सुबह 10:37 से 16 नवंबर सोमवार को सुबह 7:07 तक रहेगी। शास्त्रों के मुताबिक इस दिन सुख सौभाग्य समृद्धि का द्वार खुलता है। इस दिन घर के दरवाजे के समीप गाय के गोबर से गोवर्धन बनाकर पूजा की जाती है। दिवाली में देवों का विधिवत पंचोपचार व षोडशोपचार पूजा किया जाता है विभिन्न प्रकार के व्यंजन पकवान मिष्ठान आदि का भोग भगवान को अर्पित किया आता है।

भैया दूज का मान : भैया दूज के दिन बहन के घर भोजन करने से सुख समृद्धि मिलती है। भाई-बहन के स्नेह का पर्व भैया दूज यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है। भैया दूज के दिन बहन के घर भाई को जाकर भोजन करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को यम का पूजन किया जाता है। जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। 16 नवंबर सोमवार को यह पर्व मनाया जाएगा। ज्‍योतिषाचार्य विमल जैन ने जागरण को बताया कि इस बार द्वितीय तिथि 16 नवंबर सोमवार को सुबह 7:07 से  3:37 तक रहेगी। मान्‍यता है कि भैया दूज के दिन भाई बहन के घर जाकर उसके हाथ से बना भोजन ग्रहण करता है। बहनें रीत रिवाज के मुताबिक अपने भाइयों को टीका लगाकर उनके दीर्घायु व शुभ मंगल की कामना करती हैं। उसे भगवती लक्ष्मी जी की कृपा से सुख समृद्धि खुशहाली प्राप्त होती है। भाई भी बहन को इस अवसर पर उपहार प्रदान करते हैं। इस दिन भगवान चित्रगुप्त एवं कलम दवात की भी पूजा की जाती है।


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