Uttar Pradesh में अब Tagging Ear ring पहनेंगे पशु, सरकार के पास उपलब्ध होगा पशुओं का डाटा
बिहार सरकार की तर्ज पर अब उत्तर प्रदेश में भी पशुओं की कानों में बाली पहनाने की मुहिम शुरू होगी।
भदोही [संग्राम सिंह]। बिहार सरकार की तर्ज पर अब उत्तर प्रदेश में भी पशुओं की कानों में बाली पहनाने की मुहिम शुरू होगी। प्रमुख सचिव पशुधन ने भदोही समेत सभी 75 जिलों में गाय और भैंसों को ईयर रिंग पहनाने का आदेश दिया है। चौंकिये नहीं, इस ईयर रिंग से पशु सुंदर नहीं दिखेंगे बल्कि इससे उन्हें खास पहचान मिलेगी। राष्ट्रीय पशुरोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जिले के 3.79 लाख पशुओं का हाईटेक डाटाबेस बनाया जाएगा। एक पशु को रिंग पहनाने वाले को ढाई रुपये मिलेंगे। प्रत्येक ईयर रिंग में यूनिक आइडी नंबर आवंटित किया जाएगा। पशुपालन विभाग अब इसी आइडी से ही पशुओं के सेहत की चिंता करेगा। अब पशु न सिर्फ ईयररिंग नहीं पहनेंगे बल्कि रिंग की ठीक से रखवाली भी अफसरों को ही करनी पड़ेगी।
10 हजार गाय व भैंस पर एक सहायक की होगी तैनाती
सटीक गणना के साथ ही पशुपालक की हर समस्या का निदान इसी रिंग से संभव हो सकेगा। माहवार डाटा कंप्यूटर में फीड किया जाएगा। इसके लिये पशुपालन विभाग टीम गठित करेगा। 10 हजार गाय व भैंस पर एक सहायक की नियुक्ति होगी। उन्हें प्रशिक्षित भी किया जाएगा। सूबे के हर गांव में पशुओं को आइडी देने की कोशिश वर्ष भर चलेगी।
भदोही में मवेशी
2,12465 : गाय
1,56603 : भैंस
10,500 : बेसहारा मवेशी
बेसहारा मवेशियों पर खास फोकस
टैगिंग करने की योजना के बहाने पशुपालन विभाग बेसहारा मवेशियों पर खास तौर पर नजर रखेगा। गोआश्रय वाइज डिटेल बनेगी। किस दिन पशु ने क्या भोजन किया, उसका डाटा आश्रय स्थल पर रखा जाएगा। विभाग एक क्लिक पर जानकारी शासन को उपलब्ध करा सकेगा। डॉटा को आफिशियल वेबसाइट पर अपलोडिंग की कोशिश भी चल रही है।
इतनी देर मिलेगा प्रशिक्षण
1.5 : दिन की ट्रेनिंग टीकाकरण की
0.5 : दिन सिखाएंगे टैगिंग करना
1 : दिन में डाटा इंट्री की ट्रेनिंग
पशुओं को ईयर रिंग पहनाने के लिये कहा गया है। इस दिशा में कमेटी बनाई जा रही है। इसी हफ्ते कार्रवाई पूरी करते हुए उस शासन को अवगत कराया जाएगा। अभी कार्य पहले फेज में हैं, बहुत जल्द इसे सख्ती से प्रभावी बनान की कोशिश की जाएगी। यह कार्यक्रम सरकार की प्राथमिकता में शामिल है।
- डा. जेपी सिंह, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी
तो इसलिये पड़ी बदलाव की जरूरत : अभी तक पशुओं का कोई डाटाबेस विभाग के पास नहीं है। किस पशुपालक के पास कौन सा पशु और उसे दिक्कत क्या है। विवरण नहीं होने के कारण जिले में पशुओं की संख्या में जबरदस्त गिरावट आई है। मौजूदा समय में चल रही पशु गणना में 50 हजार से ज्यादा पशु कम हुए हैं। ये पशु मर गये या कहां चले गये, इस पर तेजी से अध्ययन शुरू हो गया है। पशुओं की नस्लों को बढ़ाने के मकसद से योजना प्रभावी में लाई जा रही है।