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आंध्रा स्ट्रेन वर्तमान वैरिएंट से भी कमजोर, बीएचयू में सेंटर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर्स की टीम में किया शोध

बीएचयू के सेंटर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर्स ने बताया है कि आंध्रा स्ट्रेन एन440के वर्तमान भारतीय वैरिएंट बी1.617 और बी1.618 से भी कमजोर है। यह वैरिएंट पिछली लहर के वायरस के समान क्षमता वाला है। इससे कहीं ज्यादा घातक और जानलेवा स्ट्रेन तो कोरोना के डबल और ट्रिपल म्युटेशन वाले हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 08 May 2021 07:10 AM (IST)Updated: Sat, 08 May 2021 12:32 PM (IST)
आंध्रा स्ट्रेन वर्तमान वैरिएंट से भी कमजोर,  बीएचयू में सेंटर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर्स की टीम में किया शोध
आंध्रा स्ट्रेन एन440के वर्तमान भारतीय वैरिएंट बी1.617 और बी1.618 से भी कमजोर है।

वाराणसी,जेएनएन। हाल ही में कोराेना के आंध्रा स्ट्रेन एन440के पर सीसीएमबी सेंटर फॉर सेल्यूलर एंड मालिक्यूलर बायोलाजी हैदराबाद के वैज्ञानिकों द्वारा दावा किया गया था कि यह भारत में मौजूदा स्ट्रेन के मुकाबले 15 गुना ज्यादा खतरनाक है। जिसके बाद देश भर के वैज्ञानिकों ने इसे सही नहीं बताया था। अब इसी कड़ी में बीएचयू के सेंटर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर्स ने बताया है कि आंध्रा स्ट्रेन एन440के वर्तमान भारतीय वैरिएंट बी1.617 और बी1.618 से भी कमजोर है। यह वैरिएंट पिछली लहर के वायरस के समान ही क्षमता वाला है। वहीं इससे कहीं ज्यादा घातक और जानलेवा स्ट्रेन तो कोरोना के डबल और ट्रिपल म्युटेशन वाले हैं।

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सेंटर के प्रमुख प्रो. परिमल दास और पीएचडी छात्र प्रशांत रंजन ने कंप्यूटर सिमुलेशन की मदद से यह ज्ञात किया कि आंध्रा स्ट्रेन वाले कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन में उस तरह का कोई परिवर्तन नहीं देखा गया है जैसा कि भारतीय वैरिएंट बी1.617 व बी1.618 और डबल म्यूटेशन व ट्रिपल म्यूटेशन में देखा गया। बीते दो दिनों से इस नए स्ट्रेन की भ्रांतियां सुनकर लोग काफी तनाव में थे, मगर अब बीएचयू के इस अध्ययन से लोगों को राहत मिलेगी।

कोरोना के 21 वैरिएंट पर ही कारगर है वैक्सीन

बीएचयू के इन वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि भारत की दोनों वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन भारत में कोरोना के 21 वैरिएंट पर ही कारगर है, जबकि डबल म्यूटेंट वायरस समेत सात वैरिएंट पर यह निष्प्रभावी या बेहद अल्प प्रभावकारी है। अर्थात वैक्सीनेशन के बाद भी संक्रमण से बचाव के उपाय जारी रखने होंगे। भारत में कोरोना वायरस के आरएनए में मौजूद स्पाइक प्रोटीन (जिन पर भारतीय वैक्सीन कार्य करती है) पर कुल 28 म्युटेशन पाए गए हैं, जिनमें से 27-28वां म्युटेशन एक साथ देखा गया है। इसे ही डबल म्यूटेंट वायरस कहा जा रहा है। महाराष्ट्र में करीब दो सौ से अधिक मामले डबल म्यूटेशन के पाए जा चुके हैं यदि यह संख्या बढ़ती है तो भारत को अपनी वैक्सीन अपडेट करनी पड़ सकती है।


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