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वाराणसी में कोरोना संक्रमण काल के बीच मौत के सौदागर बने एंबुलेंस चालक, अफसरों के आंखों का सूखा पानी

जनसेवा के नाम पर एंबुलेंस को टैक्स मुक्त रखा गया है। एंबुलेंस पंजीयन के नाम पर परिवहन विभाग में उनसे सिर्फ 600 रुपये फिटनेस और एक हजार रुपये पंजीयन शुल्क लिया जाता है जबकि सामान्य वाहनों से उस गाड़ी की कीमत का 10 फीसद टैक्स लिया जाता है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 17 Apr 2021 09:10 AM (IST)Updated: Sat, 17 Apr 2021 09:10 AM (IST)
वाराणसी में कोरोना संक्रमण काल के बीच मौत के सौदागर बने एंबुलेंस चालक, अफसरों के आंखों का सूखा पानी
कोरोना पीडि़त मरीजों को ढोने के नाम पर एंबुलेंस चालक मनमानी किराया मांग रहे हैं।

वाराणसी, जेएनएन। देश में जब भी कोई विपदा पड़ी तो काशीवासियों ने मिसाल पेश की। विपरीत परिस्थितयों में वह कर दिया जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी। लेकिन, तेजी से फैले कोरोना संक्रमण में एंबुलेंस चालक अपनी मानवता भूल गए। कोरोना पीडि़त मरीजों को ढोने के नाम पर चालक मनमानी किराया मांग रहे हैं। कोरोना संक्रमण से मृत शव का बीएचयू से हरिश्चंद्र घाट तक तीन किलोमीटर पहुंचाने का तीन से पांच हजार रुपये मांग रहे हैं। वहीं, अफसरों के आंखों का पानी सूख गया है। वे सब कुछ जानने के बाद भी एंबुलेंस चालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

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आश्चर्य इस बात का है कि आज तक एंबुलेंस का कोई किराया ही तय नहीं हुआ है। खुद चिकित्सकों और चालकों ने रेट तय कर लिया। न स्वास्थ्य विभाग जानना चाहा और न ही परिवहन विभाग। जनसेवा के नाम पर एंबुलेंस को टैक्स मुक्त रखा गया है। एंबुलेंस पंजीयन के नाम पर परिवहन विभाग में उनसे सिर्फ 600 रुपये फिटनेस और एक हजार रुपये पंजीयन शुल्क लिया जाता है जबकि सामान्य वाहनों से उस गाड़ी की कीमत का 10 फीसद टैक्स लिया जाता है। यदि वाहन की कीमत 10 लाख रुपये से अधिक है तो उनसे आठ फीसद टैक्स लिया जाता है। जिस समाजसेवा के लिए शासन ने एंबुलेंस को टैक्स मुक्त रखा है उसे कुछ अस्पताल संचालकों और एंबुलेंस चालकों ने कमाई का जरिया बना लिया है।

सामान्य मरीज को 10 किलोमीटर के अंदर घर से अस्पताल ले जाने का 1500 से 2000 रुपये, पांच किलोमीटर दूरी होने पर 1500 से 1000 रुपये किराया मांग रहे हैं। यदि उन्हें यह मालूम हो गया कि मरीज कोरोना संक्रमित है तो फिर सौदेबाजी शुरू हो जाती है। सौदेबाजी एक-दो हजार से नहीं, बल्कि पांच हजार रुपये से शुरू होती है, फिर जितने में बात बन जाए। एंबुलेंस चालकों की मनमानी और गुंडई से सभी परेशान है। पीडि़त मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, सीएमओ समेत तमाम अधिकारियों से मोबाइल, लैंड लाइन फोन, वाट््सएप, फेसबुक और ऑनलइन शिकायत कर रहे हैं। इन अफसरों के फोन नहीं उठ रहे हैं, यदि उठ रहे हैं तो कार्रवाई का भरोसा दे रहें हैं लेकिन कार्रवाई कुछ भी नहीं हो रहा है। उनके आदेश कोरोना संक्रमण में कहां चले जा रहे हैं किसी को मालूम नहीं है। 

परिवार वाले पूछे कितने रुपये हुए तो चालक ने 3500 रुपये मांगा

दोपहर करीब एक बजे शिवपुर से कोरोना से मृत शव लेकर एंबुलेंस चालक हरिश्चंद्र घाट पहुंचा। परिवार वाले पूछे कितने रुपये हुए तो चालक ने 3500 रुपये मांगा। परिवार वाले सहम गए और चालक से कम करने की गुहार लगाई लेकिन चालक अपनी जिद पर अड़ा रहा। किराए को लेकर करीब 15 मिनट तक बहस होती रही। काफी अनुरोध करने के बाद भी एंबुलेंस चालक कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था। क्षेत्रीय लोगों ने किसी तरह समझाते हुए चालक को 2000 रुपये दिए।

हरिश्चंद्र घाट पहुंचाने के नाम पर साढ़े चार हजार रुपये मांगें

मकबूल आलम रोड के पास अस्पताल में कोरोना संक्रमित से एक व्यक्ति की मौत होने पर एंबुलेंस चालक उसे ले जाने को तैयार नहीं हुआ। कुछ देर बाद चालक ने हरिश्चंद्र घाट पहुंचाने के नाम पर साढ़े चार हजार रुपये मांगें। परिवार वाले दो हजार रुपये देने को तैयार थे लेकिन चालक तैयार नहीं हुआ। 2800 रुपये में एंबुलेंस चालक लेकर गया।

518 एंबुलेंस में 73 का फिटनेस फेल

परिवहन कार्यालय में 518 एंबुलेंस पंजीकृत हैं, उनमें 73 एंबुलेंस का फिटनेस फेल है। बिना फिटनेस के सड़कों पर एंबुलेंस दौड़ रही हैं लेेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता है। कोई घटना या दुर्घटना होने पर परिवहन विभाग अस्पताल संचालक को नोटिस जारी कर कोरम पूरा कर लेता है।

जनसेवा के नाम पंजीकृत एंबुलेंस संचालक कोई किराया नहीं ले सकता है

एंबुलेंस किसी संस्था के नाम पर होने के साथ स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रमाणपत्र मिलने पर उसका परिवहन कार्यालय में पंजीयन किया जाता है। एंबुलेंस में आक्सीजन गैस के साथ प्राथमिक उपचार के संसाधन है या नहीं, इसकी जांच स्वास्थ्य विभाग करता है। प्रवर्तन अधिकारी रास्ते में एंबुलेंस रोकते हैं लेकिन उसमें मरीज होने के कारण उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पाती है। जनसेवा के नाम पंजीकृत एंबुलेंस संचालक कोई किराया नहीं ले सकता है। मरम्मत और चालक का आने वाला खर्च लेना चाहिए।  

-सर्वेश चतुर्वेदी, एआरटीओ (प्रशासन)  

निजी एंबुलेंस संचालक या चालक अधिक किराया लेते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई

108 नंबर के 14 एंबुलेंस, दो एडवांस लाइफ सर्पोट सिस्टम (एएलएस), चार एंबुलेंस अधिगृहित की गई हैं। 10 निजी अस्पतालों से एंबुलेंस तैयार रखने को कहा गया है। दो शव वाहिनी हैं जो 24 घंटे काम कर रही हैं। सभी एंबुलेंस से मुफ्त सेवा है। निजी एंबुलेंस संचालक या चालक अधिक किराया लेते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

-डा. एनपी सिंह, प्रभारी सीएमओ


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