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बीएचयू में शिष्य के साथ गुरु के भी नवाचारों को मिलेगा स्टार्टअप का रूप, बना सकते हैं अपनी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी

बीएचयू में पहली बार नवाचारी मन-मस्तिष्क वाले गुरु और शिष्य दोनों एक साथ उद्यमी बनेंगे। बीएचयू प्रोफेसरों को नौकरी में रहते हुए भी अपनी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोलने का अवसर देगा। इन्हें बैंक एमएसएमई और बिजनेस गुरु के रूप में बीएचयू के जाने-माने पुरा छात्रों द्वारा बाकायदा प्रशिक्षित किया जाएगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 08:10 AM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 08:44 AM (IST)
बीएचयू में शिष्य के साथ गुरु के भी नवाचारों को मिलेगा स्टार्टअप का रूप, बना सकते हैं अपनी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी
बीएचयू में पहली बार नवाचारी मन-मस्तिष्क वाले गुरु और शिष्य दोनों एक साथ उद्यमी बनेंगे।

वाराणसी हिमांशु अस्थाना । बीएचयू में पहली बार नवाचारी मन-मस्तिष्क वाले गुरु और शिष्य दोनों एक साथ उद्यमी बनेंगे। बीएचयू प्रोफेसरों को नौकरी में रहते हुए भी अपनी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोलने का अवसर देगा। इन्हें बैंक, एमएसएमई और बिजनेस गुरु के रूप में  बीएचयू के जाने-माने पुरा छात्रों द्वारा बाकायदा प्रशिक्षित किया जाएगा। स्टार्टअप को बढ़ाने के लिए कंपनियों के सीएसआर समेत सरकारी फंड भी जुटाए जाएंगे। सबसे खास बात यह कि बीएचयू ने इसी सत्र से छात्रों और शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय नवाचार स्टार्टअप नीति (एनआइएसपी) लागू कर दी है। इससे प्रदेश का यह पहला ऐसा केंद्रीय विश्वविद्यालय बन गया है जो अपने प्रोफेसरों और छात्रों को अपना स्वयं का कारोबार चलाने का अवसर दे रहा है। कुलपति प्रो. राकेश भटनागर को एनआइएसपी कमेटी का अध्यक्ष, प्रो. एस श्रीकृष्णा को उपाध्यक्ष और डा. मनीष अरोरा को समन्वयक बनाया गया है। इस स्टार्टअप नीति के पालन के लिए डीआइसी नोडल सेंटर होगा, जिसके तहत इंस्टीट््यूशन ऑफ इनोवेशन काउंसिल आइआइसी व अटल इंक्यूबेशन आदि कार्य करेंगे।

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पेटेंट से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर तक की मिलेगी सुविधा : नवाचारी स्वयं के बनाए आइडिया के प्रोटोटाइप को सेंटर पर ले आएगा। स्टार्टअप कमेटी के विचार के बाद अटल इंक्यूबेशन की कमेटी के माध्यम से प्रोटोटाइप को नवाचार और बाजार के मानकों पर परखा जाएगा। बेहतर उत्पाद का चयन कर डीआइसी व  आइआइसी द्वारा उस स्टार्टअप का पेटेंट, कॉपीराइट, फंड और इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराए जाएंगे। इसमें बैंक, एमएसएमई और बीएचयू के पुरा छात्र जो विभिन्न देशों में सफल उद्यमी के रूप में विद्यमान हैं, को प्रशिक्षक के तौर पर आमंत्रित किया जाएगा। इस तरह उन्हें व्यापार की चुनौतियों और उपलब्ध अवसरों से परिचित कराया जाएगा।

युवाओं और वैज्ञानिकों को प्रोत्साहन : बीएचयू में आइआइसी के अध्यक्ष व इस स्टार्टअप नीति के उपाध्यक्ष प्रो. एस श्रीकृष्णा के अनुसार नेशनल पालिसी डाक्यूमेंट बीएचयू की कार्यकारिणी परिषद से पारित होने के बाद इस सत्र से स्टार्टअप की नई नीति लागू कर दी गई है। बीएचयू में जिस प्रकार से नई खोजें हो रहीं और नवाचार हो रहे हैं, उन्हें देखते हुए युवाओं और वैज्ञानिकों को बेहतर कार्य करने का प्रोत्साहन मिलेगा। स्टार्टअप के लिए सरकारी और निजी कंपनियों से फंड जुटाया जाएगा।

डीआइसी और नीति के समन्वयक डा. मनीष अरोरा ने बताया कि यहां पर संचालित स्टार्टअप का लाभ केवल बीएचयू के छात्रों और प्रोफेसरों को मिलेगा। इससे विश्वविद्यालय में रोजाना खिल रहीं प्रतिभाओं को देश की आर्थिक प्रणाली से जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही बीएचयू के युवाओं और प्रोफेसरों को भी आय का मजबूत साधन मिलेगा। सेंटर ने पूरे पांच साल के लिए एक एक्शन प्लान तैयार किया है, जिसे जल्द ही पब्लिक डोमेन में रखा जाएगा।


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