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अजीत सिंह ने कुर्सी हाथ में आने के बाद कुंटू की मनमानी की परवाह नहीं की

प्रदेश के टॉप टेन अपराधियों में शुमार आजमगढ़ के ध्रुव सिंह उर्फ कुंटू सिंह और मुहम्मदाबाद गोहना के प्रमुख प्रतिनिधि अजीत सिंह के बीच दांत काटी रोटी की तरह दोस्ती थी। मगर दोनों की सियासी और वर्चस्व की महत्वाकांक्षा ने इसमें दरार डाल दी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 07 Jan 2021 09:55 PM (IST)Updated: Thu, 07 Jan 2021 09:55 PM (IST)
अजीत सिंह ने कुर्सी हाथ में आने के बाद कुंटू की मनमानी की परवाह नहीं की
प्रमुख प्रतिनिधि अजीत सिंह की हत्या से गांव मे पसरा सन्नाटा।

मऊ, जेएनएन। प्रदेश के टॉप टेन अपराधियों में शुमार आजमगढ़ के ध्रुव सिंह उर्फ कुंटू सिंह और मुहम्मदाबाद गोहना के प्रमुख प्रतिनिधि अजीत सिंह के बीच दांत काटी रोटी की तरह दोस्ती थी। मगर दोनों की सियासी और वर्चस्व की महत्वाकांक्षा ने इसमें दरार डाल दी। वर्ष 2005 में हुए पंचायत चुनाव में देवसीपुर से क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव जीतने के बाद अजीत को वर्ष 2006 में जेष्ठ उप प्रमुख चुना गया। अगली बार के चुनाव में अजीत ने अपनी पत्नी रानू को मैदान में उतारा और उसे ब्लाक प्रमुख बनवाने में सफल रहा। इस चुनाव में कुंटू ने रुपये-पैसे से लगायत अजीत की हर तरह की मदद की। बदले में उसकी चाहत थी क्षेत्र पंचायत को अपने तरीके से चलाने की। क्षेत्र पंचायत के विकास की निधि को अपने तरीके से प्रयोग करने की लेकिन पत्नी के प्रतिनिधि बनकर काम कर रहे अजीत सिंह ने कुर्सी हाथ में आने के बाद कुंटू की मनमानी की परवाह नहीं की। उसकी पाकेट का ब्लाक प्रमुख बनकर रहने की बजाय उन्होंने अपने ढंग से कार्य करना शुरू किया। यही बात कुंटू को नागवार लगी और दोनों के बीच एक-दूसरे के प्रति प्रतिद्वंद्विता का भाव पनपने लगा।

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हालात यहां तक जा पहुंचे कि कुंटू सिंह ने कुछ क्षेत्र पंचायत प्रतिनिधियों को तोड़कर उन्हें प्रमुख बनवाने का सपना दिखाते हुए रानू सिंह के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए तैयार कर पूरी भूमिका रच दी। इस बात की खबर जब अजीत को लगी तो उसने भी अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए क्षेत्र पंचायत सदस्यों को एकत्र कर लिया और कुंटू के इरादों पर पानी फेर दिया। इस बीच कुंटू ने अजीत को अपने प्रभाव में लेने के लिए आजमगढ़ के सगड़ी विधायक सर्वेश सिंह सीपू की हत्या करने की जिम्मेदारी अजीत को सौंपी। इस प्रस्ताव को अजीत ने न सिर्फ खारिज कर दिया बल्कि यह बात सीपू तक पहुंचा भी दी। इसे लेकर प्रशासन ने सीपू की सुरक्षा व्यवस्था तो बढ़ा दी मगर सीपू की हत्या को न रोक सका। इस हत्याकांड में अजीत चश्मदीद गवाह बन गया। फिर क्या था, दोनों की दोस्ती अब दुश्मनी में बदल चुकी थी।

कुंटू ने ब्लाक प्रमुख पद पर कब्जा करने के लिए अपने गुर्गे को किया तैयार

अजीत सिंह को उसके गढ़ में पटखनी देने और क्षेत्र पंचायत पर अपने कब्जे के लिए कुंटू ने फिर मोहरा तैयार किया। वर्ष 2015 में सीट पिछड़ी हो चुकी थी। इसलिए उसने अपने शूटर व कभी अजीत के भी नजदीकी रहे वाराणसी निवासी गिरधारी विश्वकर्मा को क्षेत्र के भदीड़ में बसा कर उसे क्षेत्र पंचायत सदस्य बनवाया। उसे ब्लाक प्रमुख बनाने की तैयारी थी किंतु तब तक क्षेत्र पंचायत की राजनीति में अपने पैर जमा चुके अजीत ने कुंटू को फिर मात दे दिया और अपनी नजदीकी महिला मनभावती राजभर को चुनाव मैदान में उतार कर उसे प्रमुख बनवा दिया और उसका प्रतिनिधि बनकर खुद क्षेत्र पंचायत का कामकाज देखने लगा। इन चोटों से बिलबिलाया कुंटू अब कई शराब की दुकानों पर भी अजीत की चाल के आगे मात खा चुका था। उसके गुस्से और प्रतिशोध की भावना से परिचित अजीत भी काफी सजग रहने लगा था और बुलेट प्रूफ जैकेट तथा वाहन का इस्तेमाल करने लगा था। लखनऊ में हत्यारों ने जब उस पर गोलीबारी की तो सिर में ही गोली लगने से उसकी मौत हुई।

प्रमुख प्रतिनिधि अजीत सिंह की हत्या से गांव मे पसरा सन्नाटा

स्थानीय कोतवाली क्षेत्र के देवसीपुर गांव निवासी अजीत सिंह पुत्र राधेश्याम सिंह की बुधवार की रात्रि मे लखनऊ मे गोलीमार कर हत्या कर दी गई। जिसको लेकर गांव मे व आमजन मानस दुखी है। अजीत सिंह वर्ष 2006 मे ब्लाक के क्षेत्र पंचायत समिति मे जेष्ठ प्रमुख थे। तभी से ये राजनित मे सक्रिय हुए और वर्ष 2011 मे अपनी पत्नी रानू सिंह को ब्लाक प्रमुख बनवाया। वर्ष 2016 मे मनभावती देवी को भी प्रमुख बनवाया। तभी से अजीत सिंह प्रमुख प्रतिनिधि के रूप मे रहते हुए प्रमुख नाम से प्रचलित हो गये। और इस क्षेत्र का हर आदमी प्रमुख कहने लगा। जबकि इनका अपराधिक इतिहास भी एक लम्बा चैडा है। इनके उपर आजमढ मऊ मे कुल 20 अपराधिक मुकदमे दर्ज है। परन्तु इनका इस क्षेत्र मे ऐसा कोई कारनामा नही दिखा या किसी प्रकार का आंतक दिखा कि यह अपराधी है। इसके उपर वर्ष 2003 मे पहला मुकदमा दर्ज हुआ तभी से इसके मुकदमो की लिस्ट बढती चली गई और थाने का टाप टेन अपराधी घोषित हुआ। अभी 31 दिसम्बर को ही जिलाधिकारी मऊ ने इसे गुण्डा एक्ट के तहत 6 महीने के लिए जिलाबदर किया है। तभी से यह लखनऊ रह रहा था। इसका परिवार भी लखनऊ मे ही रहता है। इसका लखनऊ मे प्रापर्टी डिलींग का भी काम था। इसकी हत्या की खबर सुनकर सैकडो लोग यहां से लखनऊ रवाना हुए और देर शाम वहा से पोस्टमार्टम कराकर अपने पैतृक गांव के लिए रवाना हो गये। परिजनो ने बताया कि घर पहुचाने के बाद रात्रि मे ही गाजीपुर ले जाकर इनका अंतिम संस्कार कर दिया जायेगा। इस हत्या की खबर को सुनकर गांव मे सन्नाटा पसरा हुआ है घर पर कोई आदमी नही है फिर भी लोगो का घर पर आना जाना लगा हुआ है। अब उनके शव आने का इंतेजार किया जा रहा है। क्षेत्र मे भी हत्या से लोगो को काफी गहरा धक्का लगा है।


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