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दीपावली पर काशी में पांच गुना तक हवाएं हो गईं जहरीली, महमूरगंज क्षेत्र रहा सबसे अधिक प्रदूषित Varanasi news

विश्‍व के शीर्ष प्रदूषित शहरों में शामिल वाराणसी शहर इस दीपावली पर पांच गुना तक वायु प्रदूषण की जद में आ गया।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Tue, 29 Oct 2019 02:34 PM (IST)Updated: Tue, 29 Oct 2019 04:50 PM (IST)
दीपावली पर काशी में पांच गुना तक हवाएं हो गईं जहरीली, महमूरगंज क्षेत्र रहा सबसे अधिक प्रदूषित Varanasi news
दीपावली पर काशी में पांच गुना तक हवाएं हो गईं जहरीली, महमूरगंज क्षेत्र रहा सबसे अधिक प्रदूषित Varanasi news

वाराणसी, जेएनएन। विश्‍व के शीर्ष प्रदूषित शहरों में शामिल वाराणसी शहर इस दीपावली पर पांच गुना तक वायु प्रदूषण की जद में आ गया। वायु प्रदूषण के जद में आने के साथ ही स्मॉग ने शहर की धमनियों को चोक कर दिया और संवेदनशील लोगों को सांस लेने में भी दिक्‍कतों का सामना करना पड़ा। 

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दीपावली के बाद के वायु गुणवत्ता आंकड़ों ने ग्रीन पटाखों के प्रयोग को भी झुठला दिया और पीएम 2.5 की मात्रा वातावरण में तीन गुणा से भी अधिक हो गई। इस दौरान महमूरगंज क्षेत्र सबसे अधिक प्रदूषित रहा जबकि चौक सबसे कम प्रदूषित रहा। वहीं शहर भर में बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों और मरीजों को सांस संबंधी दुश्‍वारियां भी काफी झेलनी पड़ी। दीवावली पर पटाखे और कचरा जलाने की छूट और खस्ता हाल सडकों ने मिल कर शहर को कुछ इस कदर चोक कर दिया कि दिवाली बाद स्मॉग ने वातावरण को जहरीला बना दिया।    

क्लाइमेट एजेंडा की ओर से हर वर्ष की तरह चौथी बार इस वर्ष भी दीपावाली पर वायु प्रदूषण की एक विस्तृत रिपोर्ट मंगलवार को वाराणसी में जारी की गयी। इस रिपोर्ट में यह बताया गया कि इस दिवाली ने एक बार फिर वाराणसी शहर में वायु प्रदूषण ने शहर के बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों और मरीजों के साथ-साथ अन्य नागरिकों के डर को सच साबित किया है। शहर के 18  विभिन्न इलाकों में वायु गुणवत्ता जांच की मशीनें लगा कर दिवाली की अगली सुबह 3 बजे से 8 बजे तक एकत्र किये गए आंकड़ों के आधार पर यह पता चलता है कि इस बार भी शहर का वायु प्रदूषण का स्तर सामान्य से पांच गुना अधिक पाया गया।

हवा में कार्बन कणों की भयानक रूप से मौजूदगी ने बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों और मरीजों के लिए जहां सांस का संकट पैदा किया वहीं युवाओं की सेहत पर भी यह जहरीली हवा आने वाले दिनों में असर डालेगी। जबकि शहर की आबोहवा में पी एम 2.5 की मात्रा सामान्य से तीन गुणा अधिक इस दौरान रही। संस्था द्वारा तैयार रिपोर्ट के हवाले से मुख्य अभियानकर्ता एकता शेखर ने बताया कि “इन आकड़ों के आधार पर महमूरगंज क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रदूषित पाया गया, जहां पी एम 10 की मात्रा 529 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रही जो कि सामान्य से 5 गुणा अधिक है। विशेस्वरगंज क्षेत्र दूसरे स्थान पर रहा जहां पीएम 10 का स्तर 492 रहा, नदेसर का राजा बाजार क्षेत्र तीसरे स्थान पर रहा जहां पीएम 10 का स्तर 481 रहा।

जांचे गए सभी क्षेत्रों में तुलनात्मक तौर पर चौक क्षेत्र सबसे कम प्रदूषित मिला जहां पी एम 10 की मात्रा 267 यूनिट रही। एकता शेखर ने बताया कि “माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशों और प्रशासन के दावों के बीच एक बार फिर दिवाली की रात और अगली सुबह शहर के आम जन जीवन के लिए घातक साबित हुई। पटाखों आदि के असर पर नियंत्रण करने की कवायद में हम एक बार फिर असफल साबित हुए हैं, और ग्रीन पटाखों के नाम पर हुई देर रात तक की आतिशबाजी ने शहर की आबोहवा में जहर घोलने का काम किया है। स्मॉग की वजह से शहर के आसमान में एक काली परत देखी गयी और हवा में ऑक्सीजन का संतुलन बेहद खतरनाक मात्रा में बिगड़ गया।”

इस रिपोर्ट में प्राप्त आंकड़े यह बताते हैं कि पीएम 10 कण ही प्रमुख रूप से प्रदूषण के जिम्मेदार बने। इसका अर्थ यह हुआ कि दिवाली के दौरान होने वाली आतिशबाजियों के साथ- साथ शहर की खस्ताहाल सडकें भी जहरीली आबोहवा के लिए विशेष रूप से जिम्मेदार हैं। अत्यंत बेपरवाह और खस्ता हाल में चल रही शहर की आबोहवा की निगरानी के बारे में बताया कि ''स्वयं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों के आधार पर यह स्पष्ट है कि अर्दली बाजार इलाके में लगी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मशीन से अधिकतम पांच किलोमीटर के दायरे में ही हवा की गुणवत्ता की निगरानी संभव है।

इसका अर्थ यह हुआ कि बोर्ड द्वारा चल रही निगरानी से प्राप्त आंकड़े शहर के एक हिस्से के आंकड़े ही हैं और इससे पूरे शहर की आबोहवा के प्रतिनिधि आंकड़े नहीं प्राप्त होते हैं। ऐसी स्थिति में, बोर्ड के द्वारा शहर के विभिन्न प्रमुख क्षेत्रों में कम से कम पांच और मशीनें लगा कर वायु गुणवता के आंकड़े लेने की जरूरत है, जब तक यह नहीं किया जाएगा, तब तक वाराणसी में प्रदूषण के खिलाफ मुकम्‍मल जीत संभव नहीं है।''


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