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Air Pollution: धुएं से पटा बनारस, सड़कों की धूल अब लोगों की घर की चौखट तक पहुंचा

वाराणसी का कोई ऐसा इलाका नहीं है जिसे प्रदूषण व धूल रहित कहा जाए। मंगलवार को बनारस का एयर क्वालिटी इंडेक्स 286 रहा जबकि सोमवार को यह 350 के स्तर को छू रहा था। हवा में नाइट्रोजन डाइ आक्साइड की मात्रा 41 और ओजोन अधिक्तम 60 पर रहा।

By saurabh chakravartiEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 08:32 AM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 08:32 AM (IST)
Air Pollution: धुएं से पटा बनारस, सड़कों की धूल अब लोगों की घर की चौखट तक पहुंचा
बनारस में हवा बहुत खराब हो चुकी है।

वाराणसी, जेएनएन। इन दिनों बनारस में हवा बहुत खराब हो चुकी है, इतनी खराब कि सूर्य का प्रकाश भी धरती को नहीं छू पा रहा है। अब शहर में कहीं भी निकल जाएं, प्रदूषण और उससे उपजी मुसीबत घर तक पहुंच रही है। लोगों का कहना है कि शहर का कोई ऐसा इलाका नहीं है जिसे प्रदूषण व धूल रहित कहा जाए। मंगलवार को बनारस का एयर क्वालिटी इंडेक्स 286 रहा, जबकि सोमवार को यह 350 के स्तर को छू रहा था। मंगलवार को पीएम 2.5 प्रदूषक तत्व अधिक्तम 378 और पीएम 10 प्रदूषक अधिक्तम 409 के स्तर पर पहुंच गया था। वहीं शहर की हवा में नाइट्रोजन डाइ आक्साइड की मात्रा 41 और ओजोन अधिक्तम 60 पर रहा।

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सामनेघाट से लेकर लंका सिंह द्वार, बीएलडब्ल्यू से लहरतारा, अर्दली बाजार से लेकर पहाडिय़ा व पांडेयपुर, लहुराबीर से गौदौलिया, चौक और मैदागिन अब धूल मिट्टी पट गया है। अच्छा है कि विदेशी व घरेलू पर्यटक इस दौरान काशी में बेहद कम हैं, नहीं तो बनारस की अंतरराष्ट्रीय छवि भी इसी धूल में धूमिल हो जाती। बनारस के कुछ प्रदूषण का कारण पंजाब और हरियाणा में हो सकता है, लेकिन कंस्ट्रक्शन कंपनियां, सरकारी खोदाई,  प्रदूषण को नियंत्रित करने वाले अधिकारियों की सुस्तता और खराब वाहनों पर नियंत्रण रखने वाले विभाग सब इसके पीछे जिम्मेदार हैँ। वहीं, एयर क्वालिटी इंडेक्स 350 पीएम के स्तर को पार कर रहा है, तब भी प्रदूषण बोर्ड इन कंपनियों व जिम्मेदारों पर अब तक पूरी तरह एक्शन के मूड में नहीं दिख रहा है।

पर्यावरणविद एकता शेखर ने बताया कि एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार बनारस और लखनऊ में प्रदूषण के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार सड़कों और नवनिर्माण कार्य से उडऩे वाले धूल हैं।वर्तमान में किधर भी निकले अपार्टमेंट का निर्माण कार्य चल रहा है, जबकि लान, हरियाली और पौधरोपण कोई मानक वे पूरा नहीं कर रहे हैं।

प्रदूषण के कारण 15 दिन में बढ़े चार गुना श्वांस रोगी

पिछले 15 दिनों से बनारस में श्वांस रोगियों में चार गुना तक वृद्धि हुई है, जिसके पीछे एकमात्र कारण हवा का बहुत खराब होना है। यह जानकारी देते हुए आइएमएस-बीएचयू के चिकित्सक व टी बी और श्वांस रोग विशेषज्ञ प्रो. एस के अग्रवाल ने कहा कि वाराणसी में श्वांस रोग समेत, घबराहट, चक्कर, ह्दय रोग, स्किन डिजीज और डिप्रेशन के मामले बढ़ रहे हैं। श्वांस रोगियों को इस बात का सबसे ज्यादा डर है कि कहीं उन्हें कोरोना तो नहीं। वहीं इस धूल-धक्कड़ भरे वातावरण और बनारस के ट्रैफिक जाम अब एलर्जी की समस्या बढ़ा रहा है। छींक, जकडऩ वाली खांसी और जुकाम इसके अलावा फेफड़े से सीटी की आवाज या में जकडऩ और नांक का बार-बार बंद होना श्वांस रोग के शुरूआती लक्षण हैं। यदि पटाखों पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो यह विभीषिका और भी बढऩे वाली है।

प्रदूषण धमनियों को कर रहा है ब्लाक

प्रदूषक तत्व पीएम 2.5 से छोटे प्रदूषण कणों का अमूमन आकलन नहीं होता है, लेकिन अब सबसे ज्यादा परेशान यही उत्पन्न कर रहे हैं। ये सूक्ष्म कण श्वांस के रास्ते फेफड़े में प्रवेश करता है और वहां से धमनियों ब्लाक हो जाती हैं। इससे रक्त संचार अवरूद्ध हो रहा हैे, यदि ह्दय की धमनियां ब्लाक हुईं तो ह्दयाघात, वहीं मस्तिष्क की धमनियां बंद हुईं है तो स्ट्रोक या लकवा के लक्षण शरीर में दिखाई देते हैं। इन सबसे बचने के लिए मास्क और भाप लें। तीन लीटर गुनगुना पानी जरूर पीयें। इसके अलावा यदि समस्या आती है, तो बगैर लापरवाही किए तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें। एन-95 के बजाय कपड़े के मास्क को दे तरजीह दें।


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