वाराणसी में पांच तालाब और कुंडों के पीपीआर पर बनी सहमति, अब डीपीआर बनाएगा इंटेक
नमामि गंगे ने वीडीए से एक सहमति पत्र भरा है जिसमें मोती झील चंचा ताल व रामनगर के क्षीर सागर सगरा व कबीर तालाब को संवारने संग वीडीए के अभियंताओं के साथ पांचों तालाबों का नमामि गंगे की टीम ने निरीक्षण करते हुए पूरा खाका तैयार किया।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। काशी की पौराणिक महत्व के जिन पांच तालाब- कुंडों का निर्माण व जीर्णोद्धार करना है उसकी पीपीआर (प्रीमिलरी प्रोजेक्ट रिपोर्ट) पर नमामि गंगे ने सहमति दे दी है। कंसलटेंट इंटेक (Indian National Trust for Art and Cultural Heritage) को नियुक्त करते हुए इस दिशा में काम को आगे बढ़ाने का निर्देश भी वीडीए को दे दिया है। उधर, प्रारम्भिक रिपोर्ट की सहमति के बाद वाराणसी विकास प्राधिकरण ने आगे की कार्रवाही शुरू कर दी है।
इस बाबत नमामि गंगे ने वीडीए से एक सहमति पत्र भरा है जिसमें मोती झील, चंचा ताल व रामनगर के क्षीर सागर, सगरा व कबीर तालाब को संवारने की बात तय हुई है। गत दिनों वीडीए के अभियंताओं के साथ पांचों तालाबों का नमामि गंगे की टीम ने निरीक्षण करते हुए पूरा खाका तैयार किया। प्रारम्भिक रिपोर्ट के अनुसार इन पांचों तालाब पर करीब 40 करोड़ खर्च होने का अनुमान है। कमिश्नर दीपक अग्रवाल के मुताबिक इन तालाबों के किनारे पाथ -वे, घाट और उसकी सीढ़ियां, हेरिटेज व दूधिया लाइट, बेंच, हाई मास्ट, बाउंड्रीवाल, लैंडस्केपिंग आदि काम कराया जाना है।
नमामि गंगे के अफसरों के मुआयना के बाद इस काम को आकार देने की दिशा में काम शुरू कर दिया गया है। अब पौराणिक महत्व के तालाबों और कुंडों को लेकर निर्माण और जीर्णोद्धार की आस जगी है। दरअसल वाराणसी को पुराणों से भी पुरानी नगरी होने का मान प्राप्त है। ऐसे में पौराणिक कुंडों की मान्यता की वजह से ही काशी का अस्तित्व है। वाराणसी शहर में जलस्तर मेंटेन करने के लिए इन कुंडों की महत्ता सर्वविदित है। इस लिहाज से कुंडों की मौजूदगी शहर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। वाराणसी में इस लिहाज से हेरिटेज को महत्व देते हुए इन कुंडों को पुन: संजीवनी देने की तैयारी की जा रही है। इस लिहाज से अब काशी को नए सिरे से जल से परिपूर्ण करने की तैयारी की यह पहल अहम कड़ी मानी जा रही है।