वाराणसी में कोरोना मरीज की मौत के बाद जिला अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मियों संग दुर्व्यवहार, लगाया आक्सीजन बंद करने का आरोप
पांडेयपुर स्थित पंडित दीन दयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय में भर्ती गिलट बाजार निवासी कोरोना मरीज की गुरुवार को मौत हो गई। इस पर परिवारीजनों ने अस्पतालकर्मियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए न सिर्फ हंगामा किया बल्कि स्वास्थ्यकर्मियों संग दुर्व्यवहार भी किया।
वाराणसी, जेएनएन। पांडेयपुर स्थित पंडित दीन दयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय में भर्ती गिलट बाजार निवासी कोरोना मरीज की गुरुवार को मौत हो गई। इस पर परिवारीजनों ने अस्पतालकर्मियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए न सिर्फ हंगामा किया, बल्कि स्वास्थ्यकर्मियों संग दुर्व्यवहार भी किया। अस्पताल कर्मियों पर घटना के विरोध में संबंधित वार्ड की आक्सीजन सप्लाई बाधिक करने का आरोप लगा, जिसे सीएमएस डा. वी शुक्ला ने सिरे से खारिज करते हुए कोरी अफवाह करार दिया।
दरअसल, मरीज को आक्सीजन लेवल कम होने पर तीन दिन पहले अस्पताल में लाया गया था। दिन-ब-दिन उसकी हालत बिगड़ती गई और गुरुवार सुबह मरीज का निधन हो गया। शव लेने पहुंचे परिवारीजनों ने अस्पताल कर्मियों पर लापरवाही का आरोप लगाया। उनके साथ दुर्व्यवहार करते हुए तोड़फोड़ की कोशिश की। उधर, घटना के विरोध में कर्मचारियों पर आक्सीजन सप्लाई जैसी महत्वपूर्ण सेवा बाधित करने का आरोप लगा। वार्ड में भर्ती एक मरीज के परिजन ने बताया कि उनके मरीज की स्थिति खराब होने लगी थी। उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही थी। साथ ही वार्ड के अन्य मरीजों को भी समस्या हो रही थी, उन्हें भी सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। आरोप है कि जब इसकी जानकारी स्टाफ को दी गई और बताया गया कि मरीज का आक्सीजन लेवल कम हो रहा है। इससे पहले मरीज सामान्य था। इस पर नर्स ने जवाब दिया कि समझ में नहीं आ रहा है। अब किसी मरीज को आक्सीजन सप्लाई नहीं होगा। अब सब लोग मरेंगे। भर्ती मरीज के परिजनों ने बताया कि दूसरे तल के वार्ड में कुल 27 मरीज भर्ती थे। सभी को अचानक सांस लेने में परेशानी होने लगी।
मौके पर पहुंची पुलिस ने मृत मरीज के परिजनों व अस्पताल कर्मियों को किसी तरह से समझा कर मामला शांत कराया। वहीं हास्पिटल के सीएमएस डा. वी शुक्ला ने बताया कि उक्त मरीज 26 अप्रैल को भर्ती हुआ था तब उसका ऑक्सीजन सेचुरेशन 50 फीसद था। साथ में फेफड़े में संक्रमण, शुगर व किडनी की समस्या थी। भर्ती करने के बाद से ही मरीज को एचएफएनसी (हाई फ्लो नेजल कैनुला) मशीन पर रखा गया था। इसमें एक मिनट में 60 लीटर तक आक्सीजन मरीज को दिया जाता है। बावजूद इसके स्थिति गंभीर होने के कारण मरीज को बचाया नहीं जा सका।
मामले की हो जांच तो खुले कई राज
स्वास्थ्य कर्मियों व मरीज के परिवारीजनों के बीच जिला अस्पताल में हुए हंगामा की जांच होनी चाहिए। यह मांग कांग्रेस की ओर से हो रही है। कहना है कि जब मरीजों के परिवारीजनों की ओर से दुव्र्यवहार किया गया तो पुलिस ने मामला क्यों नहीं दर्ज किया। अस्पताल में एक उाक्टर विशेष की ओर से बराबर दुव्र्यवहार का मामला सुनने में आ रहा है। वार्ड में भर्ती अस्पताल कर्मी की पत्नी की मौत के मामले में भी उस डाक्टर से स्टाफ ही भिड़ गए थे। डाक्टर को इतना गुस्सा आ गया था कि उन्होंने अपना पीपीई किट ही फाड़ दिया था।
कहीं किसी प्रकार की कोई कमी है
ऑक्सीजन सप्लाई रोकने जैसी बात बिल्कुल निराधार है, अफवाह है। हास्पिटल में आक्सीजन सप्लाई पूरी तरह सामान्य है। हास्पिटल में न तो कहीं आक्सीजन बाधित हुआ और न ही कहीं किसी प्रकार की कोई कमी है। जिला प्रशासन के सहयोग से हास्पिटल में हमेशा आक्सीजन रिजर्व रहती है।
- डा. वी शुक्ला, सीएमएस-डीडीयू