Dev Deepawali 2020 : वाराणसी में दस्तकारी का हुनर आफरीन और यास्मीन ने दिखाया, उकेरा दीया और बाती को
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिनंदन बनारस की हैंड एंब्रायडरी वाले अंगवस्त्र से। लोहता की महिला शिल्पियों के ख्वाहिश कि प्रधान मंत्री का अभिनंदन काशी के घाट पर तीस नवंबर को विश्व प्रसिद्ध देव दीपावली प्रकाश पर्व पर इसी से किया जाए।
वाराणसी, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिनंदन बनारस की हैंड एंब्रायडरी वाले अंगवस्त्र से। लोहता की महिला शिल्पियों के ख्वाहिश कि प्रधान मंत्री का अभिनंदन काशी के घाट पर विश्व प्रसिद्ध देव दीपावली प्रकाश पर्व पर इसी से किया जाए। 22 इंच और 72 इंच के साइज का यह पांच दीपक, बाती और देव दीपावली प्रकाश पर्व लिखा अंगवस्त्र 6 दिन के निरंतर लगन के साथ तैयार किया
पद्मश्री और जीआइ विशेषज्ञ डाक्टर रजनी कांत ने बताया कि लोहता की युवा महिला शिल्पी आफरीन और यास्मीन ने अपने हुनर से रेशम के धागों को प्रयोग करते हुए 22 इंच और 72 इंच के साइज का यह पांच दीपक, बाती और देव दीपावली प्रकाश पर्व लिखा अंगवस्त्र 6 दिन के निरंतर लगन के साथ तैयार किया जो पहली बार इस पर्व पर बनाया गया है जिसे प्रशासन को सौंप दिया गया है। महिला शिल्पियों का कहना है कि जब प्रधानमंत्री हम लोगो के लिए इतना कर रहे है तो हमें भी उत्साह है उनका अभिनंदन अपने हुनर से करने का।
ताने-बाने से निकला बुद्धम् शरणम् गच्छामि, कैलीग्राफी का कमाल
ब्रांड बनारस में अब कैलीग्राफी युक्त अंगवस्त्रम की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। इस कला को प्रोत्साहित किया जा रहा है। विगत कई विशिष्ट आयोजनों में देश-विदेश के राजनीतिक हस्तियों को कैलीग्राफी वाले अंगवस्त्रम दिए गए। इस बार बनारस के ताने-बाने से निकला है बुद्धम् शरणम् गच्छामि का संदेश। इसे सारनाथ के छाही गांव निवासी बच्चे लाल मौर्य ने अपने हैंडलूम के ताने-बाने पर कैलीग्राफी विधि से बुना है। बुद्धम् शरणम् गच्छामि धम्मम् शरणम् गच्छामि, संघम शरणम् गच्छामि और बीच में बोधि वृक्ष की पत्ती जिसका बौद्ध धर्म में विशेष महत्व है का अंगवस्त्रम तैयार किया है। बच्चे लाल ने मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल को अंगवस्त्रम सौंपा। उनकी इच्छा है कि काश वह प्रधानमंत्री को अंगवस्त्रम भेंट कर पाते। पद्मश्री सम्मानित डा. रजनीकांत ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काशी यात्रा की प्रतीक्षा सभी लोग कर रहे हैं और संकेत मिलते ही प्रधानमंत्री के देव दीपावली सहित सारनाथ के आयोजन में सम्मिलित होने पर बच्चे लाल ने डिजाइन नक्शा पत्ता का कार्य शुरू कर दिया। बौद्ध धर्म में प्रचलित रंगों का प्रयोग करते हुए पीले रंग के रेशम के धागे से सबसे प्रचलित मंत्र को बुन दिया। पीपल के पत्ती की आकृति भी बुनी है।