वाराणसी में घर की छत पर सब्जियों की उन्नत खेती, किचन वेस्ट से बना रहे जैविक खाद
वाराणसी के कचहरी सर्किट हाउस के समीप सिकरौल वार्ड के निवासी सामाजिक कार्यकर्ता रंजू सिंह व नन्दलाल मास्टर ने अपनी सूझबूझ के दम पर कोरोना महामारी के दौरान घर रहकर न सिर्फ समय का सदुपयोग किया बल्कि पर्यावरण संरक्षण का बीड़ा भी उठाया।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। इस समय लोग पर्यावरण संरक्षण और जैविक खाद की बातें खूब कर रहे हैं, लेकिन इसमें कदम बढ़ाने वालों की संख्या कम है। वहीं वाराणसी के कचहरी सर्किट हाउस के समीप सिकरौल वार्ड के निवासी सामाजिक कार्यकर्ता रंजू सिंह व नन्दलाल मास्टर ने अपनी सूझबूझ के दम पर कोरोना महामारी के दौरान घर रहकर न सिर्फ समय का सदुपयोग किया, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का बीड़ा भी उठाया उन्होंने जैविक खाद का प्रयोग कर अपने छत पर सब्जियां उगा रहे हैं।
छत पर की है सब्जियों की खेती : रंजू सिंह व पति नन्दलाल मास्टर ने अपने घर की छत पर ही अच्छी-खासी सब्जी की खेती कर रखी है। इस समय उनके छत पर हर मौसमी जाड़े की मौसमी सब्जी फूलगोभी, पालक, लहसुन, मूली,बैगन,टमाटर,सेम, पत्तागोभी,नीबू व केले के पौधे भी खूब लहलहाते रहते है। लोक चेतना समिति की निदेशिका व सामाजिक कार्यकर्ता रंजू सिंह ने बताया कि वो पिछले सात साल से हर सीजन की मौसमी सब्जियां उगा रहे है। देहात के बढ़ते शहरीकरण और घटती कृषि जोत के चलते शहरों के आसपास सब्जी उगाने का शौक तेजी से घटता जा रहा है और बाजार में जो सब्जियां दूर-दराज के इलाकों से पहुंचती है उनमें कीटनाशक की भरमार होती है। ऐसे में उन्होंने थोड़ी सी जुगत लगाकर अपने घर की छत पर ही विभिन्न तरह की सब्जियों की खेती कर डाली है। उनके घर की छत पर तैयार सब्जियां प्रतिदिन परिवार के सदस्य तो खाते ही हैं साथ ही ज्यादा होने पर पड़ोसियों में भी सब्जी बांटती हैं। इन सब्जियों को कीटनाशक व रासायनिक खाद रहित जैविक तकनीक से पैदा किया गया है। रंजू सिंह के घर बड़ी संख्या में लोग इस तकनीक को देखने के लिए और जानकारी लेने के लिए आते हैं। अब बहुत लोग इसे देखकर छत की खेती करना शुरू कर दिए है इससे उन्हें खुशी मिलती है।
छत को बना दिया मिनी गार्डन : नन्दलाल मास्टर ने बताया कि 2012 में उन्होंने शहर में एक नया घर बनाया। और तीसरी मन्जिल पर करीब 1000 वर्गफीट में गार्डेन बनाने की योजना बनायी। शुरू में उन्होंने कुछ फूलों को गमले में लगाया फिर धीरे धीरे सब्जियों की खेती शुरू किया। अपने घर की छत पर आसानी से जैविक खाद युक्त सब्जियों को उगाकर उसका लाभ भी पाया जा सकता है। उन्होंने ने बताया कि बचपन से ही उनका शौक सब्जियों के प्रति रहा है। अपने छत पर 30 फीट लंबा, ढाई फीट चौड़ा और ढाई फीट गहरा स्थाई क्यारी सब्जी के लिए बनवाया है। जिसमें वो मौसमी सब्जी जैसे बैगन, टमाटर, लौकी, कोंहड़ा, सेम, खीरा, करेला, पालक, लहसुन, भिन्डी आदि लगाते हैंं। साथ ही 200 से ज्यादा ट्रे और गमलों में भी सब्जियों के अलावा रंग बिरंगे फूल, लता, जड़ी बूटी आदि पौधे लगाए हैं। इससें पूरा छत हमेशा हरा भरा मिनी गार्डेन जैसा दिखता है।
किचन से निकले छिलके व कूड़े से खुद से बनाती है जैविक खाद : उन्होंने बताया कि वो पूरी तरीके से जैविक खेती करती है। रसोई से निकले फल और सब्जियों के छिलके का कचरा बाहर नही फेंकती बल्कि सारा हरा छिलका खराब सब्जी व फल एकत्र करके स्थायी क्यारी में ही डालकर मिट्टी से ढंक देती हैं जो कि पौधों के लिए खाद का काम करता है। इससे घर का कूड़ा भी कम निकलता है, उन्हें रोजाना तरोताजा हरी सब्जी भी खाने को मिल रही है और साथ ही स्वच्छता व पर्यावरण संरक्षण में भी वे योगदान दे रहे है। पौधों को जरूरत पड़ने पर गोबर की खाद का इस्तेमाल करती है। उन्होंने बताया छत पर सब्जियों की खेती के लिए बहुत ध्यान भी देना पड़ता है। सुबह-शाम समय से पौधों को आवश्यकता अनुसार पानी देना बहुत जरूरी होता है। साथ ही समय-समय पर पौधों को खाद देना व कीड़ों से बचाव करना होता है।
उन्होंने बताया कि साल भर वे मौसम के अनुसार हर प्रकार की सब्जियों की खेती कर रही है। उन्होंने ने बताया कि हमलोग समय मिलते ही परिवार के साथ अपने छत की गार्डेन पर हमेशा काम काज से खाली होकर बैठ जाते है। इस दौरान सारी थकान गायब हो जाती है। छत की हरियाली और पौधों को देखकर मन को बहुत सुकून मिलता है। उन्होंने बताया कि इस साल छत पर सब्जियों के अलावा फलदार पेड़ भी लगाने की उनकी योजना है, जिसके लिये वो जोर शोर से तैयारी कर रहे है। वो चाहते है छत पर खेती करने की उनकी तकनीक को और लोग भी अपनाये जिसके लिए वो सहयोग करने को तैयार है,कोई भी उनसे सम्पर्क करके जानकारी सहयोग ले सकते है।