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Acharya PC Rai Death Anniversary अंग्रेजी हुकूमत के औषधि कारोबार पर बीएचयू से हुआ था पहला हमला

औषधि निर्माण में भारत को आत्मनिर्भर बनाने वाले आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय का काशी और बीएचयू से काफी गहरा नाता रहा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 16 Jun 2020 12:11 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jun 2020 05:32 PM (IST)
Acharya PC Rai Death Anniversary अंग्रेजी हुकूमत के औषधि कारोबार पर बीएचयू से हुआ था पहला हमला
Acharya PC Rai Death Anniversary अंग्रेजी हुकूमत के औषधि कारोबार पर बीएचयू से हुआ था पहला हमला

वाराणसी [हिमांशु अस्थाना]। Acharya PC Rai Death Anniversary जन्म - 2 अगस्त, 1861 ( जैसोर, बांग्लादेश), निधन - 16 जून, 1944 ( कोलकाता) औषधि निर्माण में भारत को आत्मनिर्भर बनाने वाले आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय का काशी और बीएचयू से काफी गहरा नाता रहा। भारतीय रसायन के जनक आचार्य राय ने भारत के प्राचीन रसायन ज्ञान को आधुनिक विज्ञान से जोड़कर अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती दी थी। उनकी यही खूबी बीएचयू संस्थापक मालवीय जी को उनकी ओर आकॢषत करती थी। मालवीय जी आचार्य के ज्ञान का भरपूर इस्तेमाल बीएचयू के लिए करना चाहते थे। इसी क्रम में 1932 में भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया के पहले फार्मास्युटिक्स में स्नातक कोर्स की स्थापना बीएचयू में हुई, जिसके सूत्रधार बने आचार्य पीसी राय।

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डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्युटिकल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के प्रो. सुशांत श्रीवास्तव के मुताबिक मालवीय जी के मार्गदर्शन में प्रो. महादेव लाल सर्राफ ने विभाग का पाठ्यक्रम तैयार कर आचार्य राय के समक्ष प्रस्तुत किया, जिसकी जांच-परख कर उन्होंने इसे अपनी मंजूरी दे दी। और यहीं से भारत में पहली बार औषधि निर्माण विधा में बकायदा अध्ययन-अध्यापन और प्राचीन रसायन विज्ञान पर बड़े स्तर पर शोध कार्य शुरू हुए, जिसका केंद्र बना बीएचयू। इस तरह से ब्रिटिश साम्राज्य के औषधि कारोबार के दबदबे पर पहला हमला बीएचयू से हुआ था। आज आइआइटी, बीएचयू स्थित फार्मास्युटिकल इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी के नाम से जाना जाने वाला यह विभाग उस दौर में देश-विदेश के कई बड़े फार्मा संस्थानों व उद्योगों के लिए आदर्श बना रहा।

शिलान्यास में दिया भाषण

फरवरी 1916 में आचार्य बीएचयू के शिलान्यास के दौरान विज्ञान के एक विद्यार्थी का संदेश विषय पर बोलते हुए कहा था कि मेरे लिए यह सचमुच संतोष की बात है कि बीएचयू में विज्ञान की विविध शाखाओं के अध्यापन और मौलिक शोध के लिए पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं, इससे एक नए युग का सूत्रपात होगा। कुछ वर्षों बाद मालवीय जी ने आचार्य को बीएचयू में डीएससी की उपाधि से नवाजा था।

भारतीय रसायन के बारे में तोड़ा विदेशियों का भ्रम

सादगी पसंद आचार्य स्वदेशी विज्ञान के पुरोधा थे, विज्ञान के माध्यम से उन्होंने देश को आजादी दिलाने की बातें की। जब वह विदेशों में थे तो रसायन विज्ञान के बारे में ऐसा प्रचलित था कि भारतीय उतना ही जानते हैं जितना कि अंग्रेजों ने उन्हेंं सिखाया। इसका खंडन करते हुए आचार्य ने जवाब दिया कि भारतीयों को अपना इतिहास ही ज्ञात नहीं है। इसके बाद उन्होंने रसायन की विश्व प्रसिद्ध पुस्तक हिस्ट्री ऑफ हिंदू केमेस्ट्री फ्रॉम द अॢलएस्ट टाइम्स टू सिक्सटीन सेंचुरी लिखकर दुनिया को भारत के प्राचीन रसायन व चिकित्सा पद्धति से अवगत कराया।

प्रसिद्ध किताब - हिस्ट्री ऑफ हिंदू केमेस्ट्री

खोज -मर्क्‍यूरस नाइट्रेट

पहली फार्मास्युटिकल कंपनी बंगाल केमिकल एंड फार्मास्युटिकल की स्थापना - 12 अप्रैल, 1901


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