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हत्‍याओं को लेकर बयान बदलनेे पर भी आरोपित नीलकंठ ने पुलिस का जीत लिया था विश्वास

पुलिस तत्परता दिखाई होती तो लहरतारा के सुमित श्रीवास्तव समेत तीन हत्याओं का पर्दाफाश करने में इतनी देरी नहीं होती।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2020 06:40 AM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2020 05:53 PM (IST)
हत्‍याओं को लेकर बयान बदलनेे पर भी आरोपित नीलकंठ ने पुलिस का जीत लिया था विश्वास
हत्‍याओं को लेकर बयान बदलनेे पर भी आरोपित नीलकंठ ने पुलिस का जीत लिया था विश्वास

वाराणसी, जेएनएन। पुलिस तत्परता दिखाई होती तो लहरतारा के सुमित श्रीवास्तव समेत तीन हत्याओं का पर्दाफाश करने में इतनी देरी नहीं होती। मुख्य आरोपित नीलकंठ जायसवाल लगातार अपना बयान बदल रहा था। यहां तक कि घटना वाले दिन वह बाइक से कबीरचौरा स्थित मंडलीय अस्पताल भी पहुंचा था और सीसीटीवी में कैद भी हुआ था। इसके बावजूद बुलाने पर थाने व चौकी तुरंत पहुंच जाना व अपने बयान को लेकर उसने पुलिस का विश्वास जीत लिया था। मृतक सुमित के भाई हिमांशु ने बार-बार पुलिस पर दबाव बनाया, लेकिन हर बार वह छूट जाता था।

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सुमित के भाई हिमांशु ने बताया कि 22 अक्टूबर-2019 को कबीरचौरा अस्पताल से ड्यूटी से आया और शाम को नीलकंठ के घर पर गया। इसके बाद 23 अक्टूबर को सुमित लापता हो गया। आरोपित नीलकंठ व उसके पिता ने उन लोगों से झूठ बोला कि वह घर पर नहीं आया था और पिछले दो-तीन दिनों से मुलाकात भी नहीं हुई है। नीलकंठ का झूठ तो तभी पकड़ में आ गया था जब अस्पताल के सीसीटीवी कैमरे को खंगाला गया। जब दबाव बनाकर पूछा गया तो नीलकंठ ने बताया कि 23 अक्टूबर को सुबह करीब 10 बजे अस्पताल गया था, क्योंकि एक क्लाइंट का खाता खोलना था। यहां पर भी उसका झूठ पकड़ा गया, क्योंकि सीसीटीवी में साफ दिख रहा था कि 12.30 बजे अस्पताल पहुंचा था। इसके बाद लोहता में दोनों को बाइक पर जाते समय सुमित के साले ने देखा था। इस संबंध में जब नीलकंठ से पूछा गया तो वह पहले मुकर गया, फिर फंसता देख कहा कि एक मंदिर पर सुमित को छोड़ दिया था। बाइक पर सुमित जमीन के संबंध में किसी से बात कर रहा था। सुमित को उसे पैसे देने थे। इसलिए वह कैश ले जाने के बजाय चेक ले गया था। इतने सारे झूठ के बाद भी पुलिस ने हिरासत में लेकर उसे छोड़ दिया। हिमांशु का कहना है कि जिस तरह पुलिस ने केस का पर्दाफाश किया, वह सराहनीय है। साथ ही उसने मंडुआडीह के तत्कालीन थाना प्रभारी व जांच अधिकारी पर आरोप लगाते हुए कहा कि यही काम पहले करते तो आज उसके भाई का शव तो मिल जाता। एक जांच अधिकारी ने बताया कि जिस तरह से नीलकंठ पुलिस के सामने पेश होता था, उससे यह नहीं लगता था कि वह इतना बड़ा अपराध कर सकता है। इसी आधार पर उसे छोड़ दिया गया था।

तीन माह पहले हुई थी सुमित की शादी

सुमित की शादी जून-2019 में हुई थी। इसके बाद वह अक्टूबर से लापता हो गया। तीन माह बाद पति के अचानक लापता होने के बाद आशा (बदला नाम) को आस थी कि उसके पति वापस आएंगे, लेकिन उसकी मौत की खबर से बेसुध हो गई है। 


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