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वाराणसी के रमना में लगेगा कचरे से बिजली बनाने का प्लांट, 300 करोड़ रुपये अनुमानित बजट

वाराणसी नगर से निकल रहे कचरे का प्रबंधन करने के लिए नगर निगम ने कई योजनाएं बनाई हैं। रमना में एक नए प्लांट का प्रस्ताव भी तैयार हुआ है जो कचरे से बिजली बनाएगा। इस प्लांट की क्षमता प्रतिदिन 600 टन कचरा से बिजली उत्पादन की होगी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 10:48 PM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 10:48 PM (IST)
वाराणसी के रमना में लगेगा कचरे से बिजली बनाने का प्लांट, 300 करोड़ रुपये अनुमानित बजट
वाराणसी, रमना में एक नए प्लांट का प्रस्ताव भी तैयार हुआ है, जो कचरे से बिजली बनाएगा।

वाराणसी, जेएनएन। नगर से निकल रहे कचरे का प्रबंधन करने के लिए नगर निगम ने कई योजनाएं बनाई हैं। एक ओर जहां दो अक्टूबर से घर-घर कूड़ा उठान की कवायद एक निजी कंपनी शुरू करने जा रही है तो, वहीं, रमना में एक नए प्लांट का प्रस्ताव भी तैयार हुआ है, जो कचरे से बिजली बनाएगा। वित्तीय वर्ष 2019-2020 में तैयार प्लान शासन को भेजा गया है। इस प्लांट की क्षमता प्रतिदिन 600 टन कचरा से बिजली उत्पादन की होगी।

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प्रस्ताव के मुताबिक इस प्लांट के निर्माण में 300 करोड़ रुपये का आकलन किया गया है। रमना के डंङ्क्षपग क्षेत्र में प्लांट की स्थापना की जाएगी। प्रस्ताव भेजकर इससे प्रदेश सरकार को अवगत कराया जा चुका है। प्लांट निर्माण के लिए एनटीपीसी से वार्ता की गई है जिसकी सहमति का इंतजार हो रहा है। हालांकि, अब तक एनटीपीसी ने प्लांट निर्माण को लेकर तैयार नहीं होने की बात नगर निगम प्रशासन से की है। ऐसे में प्लांट निर्माण के लिए ग्लोबल टेंडर आमंत्रित किया जा सकता है।  

बसपा सरकार में लगा प्लांट नहीं चला

इससे पहले भी करसड़ा में कचरे से बिजली बनाने के लिए प्लांट लगाया गया था। जेएनएनयूआरएम के फंड से वर्ष 2010 में 48 करोड़ नगर निगम प्रशासन को सौंपा गया था। कचरा प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाल रही एटूजेड कंपनी को प्लांट निर्माण के साथ ही नगर में घर-घर कूड़ा उठान की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। हालात ऐसे बने कि बसपा के बाद सपा सरकार का आधा से अधिक कार्यकाल भी बीत गया लेकिन करसड़ा का प्लांट नहीं चला।

जापानी विशेषज्ञों ने प्लांट को बताया सफेद हाथी

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिजो आबे बनारस आए और उनके जापानी तकनीकी विशेषज्ञ भी यहां पहुंचे। उन्होंने प्लांट का जायजा लिया तो रिपोर्ट में उसे सफेद हाथी करार दिया। इसके बाद केंद्र सरकार की मंशानुसार एनटीपीसी ने प्लांट संचालन का मोर्चा संभाला। परिणाम, वर्तमान में प्लांट के अंदर कचरे से भारी मात्रा में खाद के अलावा फ्यूल गोटियां, सड़क भरने के लिए मैटेरियल आदि बन रहे हैं।

सीएसआर फंड से लगे तीन छोटे प्लांट

इंडियन ऑयल कार्पोरेशन लिमिटेड कंपनी ने नगर के भवनिया पोखरी, पहडिय़ा फल-सब्जी मंडी व आइडीएच कालोनी आदमपुर में तीन प्लांट स्थापित किए, जिनमें कचरे से बिजली बनाने की योजना थी। तीनों प्लांट निर्माण में साढ़े चार करोड़ खर्च हुए। पहला प्लांट भवनिया पोखरी 29 दिसंबर 2016 तो पहडिय़ा मंडी व आइडीएच कालोनी का प्लांट अगस्त 2017 में उद्घाटित हुआ। शर्तों के मुताबिक नगर निगम को सिर्फ जमीन उपलब्ध करानी थी, जबकि आगामी तीन वर्ष तक इंडियन ऑयल कंपनी को प्लांट संचालित करना था। इंडियन ऑयल ने खुद की निगरानी में संचालन की जिम्मेदारी ओआरएसपीएल (आर्गेनिक री-साइकलिंग सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड) संस्था को दी, जिसके एवज में दो लाख रुपये प्रति माह भुगतान किया गया। प्रत्येक प्लांट की बिजली उत्पादन क्षमता पांच टन आर्गेनिक कचरे से 750 यूनिट की थी। इसके लिए नगर निगम ने 10 टन कचरा देने का भरोसा दिया जिसे पृथक कर पांच टन आर्गेनिक कचरा निकाल लेना था लेकिन दुखद वर्तमान में तीनों प्लांट बंद पड़े हैं।

कचरा प्रबंधन की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं

कचरा प्रबंधन की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। इसमें घर-घर कूड़ा उठान बेहद महत्वपूर्ण है। इसके अलावा कचरे से बिजली बनाने का नया प्लांट भी स्थापित करना है और पुराने को भी नए सिरे से नगर निगम प्रशासन को संचालित करना है।

-देवीदयाल वर्मा, अपर नगर आयुक्त, नगर निगम वाराणसी


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