वाराणसी में आठ साल में बिछी 800 मीटर की सीवर लाइन, खर्च हो गए एक करोड़ से अधिक राशि
विधान परिषद की अंकुश समिति ने 16 मार्च को संपन्न हुई बैठक में अपर मुख्य सचिव नगर विकास को निर्देशित किया कि समिति की अगली बैठक में वाराणसी में सिगरा- महमूरगंज सीवर पाइप लाइन डाले जाने की बाबत आडिट व टेक्नीकल फाल्ट रिपोर्ट पेश करें।
वाराणसी, जेएनएन। विधान परिषद की अंकुश समिति ने 16 मार्च को संपन्न हुई बैठक में अपर मुख्य सचिव नगर विकास को निर्देशित किया कि समिति की अगली बैठक में वाराणसी में सिगरा- महमूरगंज सीवर पाइप लाइन डाले जाने की बाबत आडिट व टेक्नीकल फाल्ट रिपोर्ट पेश करें। 800 मीटर लंबी सिगरा- महमूरगंज सीवर पाइप डालने में आठ साल क्यों लगे। इतना ही नहीं वित्तीय व्यय भी अधिक हुआ है।
प्रति 100 मीटर पाइप लाइन बिछाने मे 100.25 लाख रुपये खर्च (एक मीटर पर 1.25 लाख ) हो गए। यह लापरवाही व मनमानी की ओर इशारा कर रहा है। इस महत्वपूर्ण विषय को समिति के सदस्य शतरुद्र प्रकाश ने स्थानीय नागरिकों, व्यापारियों के प्रत्यावेदन का समर्थन करते समिति में प्रस्तुत किया था। उन्होंने सवाल उठाए 800 मीटर सीवर पाइप लाइन बिछाने में 10 करोड़ रूपये क्यों खर्च हो गए। 13 वें वित्त आयोग द्वारा प्रथम चरण में जेएनएनयूआरएम के तहत जल निगम की गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई द्वारा सन 2021-13 में शुरू की गई। अमृत योजना के अंतर्गत सन 2020 में किसी तरह पूरा किया गया। इस योजना में स्थानीय नागरिकों को धूल-गर्दा, गंदा पानी, फेफड़े व गर्दन के साथ रीढ़ की हड्डी की बीमारी जरूर मिली। योजना की अवधि में धूल फांकने के अलावा सीवर जल जमाव और गड्ढों में गिरने का सिलसिला खूब चला। लोग सीवर ओवरफ्लो की यातना सहते रहे। पीने की पाइप लाइन में सीवर जल मिलता रहा जिस दूषित जल पीते रहे। टीबी, दमा , स्पौंडलाइटिस के रोगी होते रहे। व्यापार ठप था। दो गुना लागत खर्च हो गई। सड़क न बनाने और गैर कानूनी सीवर लाइन जोडऩे के लिए रोड कटिंग वर्तमान में भी जारी है। लोग धूल गर्दा फांक रहे हैं। जल निगम व जल कल विभाग बेखबर है। विद्या सागर सोनकर की सभापतित्व में संपन्न बैठक में एमएलसी ध्रुव नारायण त्रिपाठी, सनी यादव, जितेंद्र यादव, सीपी चंद, चंचल सिंह व उदयवीर, अपर मुख्य सचिव नगर विकास रजनीश दुबे, सचिव नगर विकास अनुराग यादव, वाराणसी जल निगम महाप्रबंधक एके पुरवार आदि उपस्थित थे।
ये बिंदु धांधली की ओर कर रहे इशारा
-2012-13 से 15 जुलाई 2015 तक तक मात्र 1.80 मीटर तक सीवर लाइन बिछायी गई।
-800 मीटर में 7 ठेकेदारों को ठेका दिया गया।
-वे सभी ठेकेदार काम अधूरा छोड़ कर भाग गए।
-2018 में मेसर्स हरिमोहन शर्मा कंपनी को 686 लाख रूपए का ठेका दिया गया।
-कंपनी भी अधूरा काम छोड़ कर भाग गई।
-जीएम जल निगम तक सस्पेंड हुए।
-पूरा काम बिना अंडरग्राउंड सर्वे के किया गया।
-एलाइनमेंट गड़बड़ा हो गया
-सिगरा ईसाई बस्ती के सामने शंभू यादव के मकान के नीचे सीवर लाइन
-गलत बेंड से दो सीवर लाइनें एक-दूसरे से एक मीटर ऊपर व नीचे।
-सीवर ओवरफ्लो को दूर करने में लग गए तीन साल।