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Lockdown in Varanasi जिला प्रशासन और नगर निगम के बीच फंस गए 79 गांव के लोग

कुछ माह पहले वाराणसी नगर निगम सीमा में शामिल 79 गांव के लोगों की सांसत लॉकडाउन में बढ़ गई है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 04 May 2020 12:30 PM (IST)Updated: Mon, 04 May 2020 02:57 PM (IST)
Lockdown in Varanasi जिला प्रशासन और नगर निगम के बीच फंस गए 79 गांव के लोग

वाराणसी, जेएनएन। कुछ माह पहले नगर निगम सीमा में शामिल 79 गांव के लोगों की सांसत लॉकडाउन में बढ़ गई है। वर्षांत में प्रधानों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। नए वार्ड के परिसीमन में उनकी क्या स्थिति होगी, ये सोचकर वे बहुत आगे बढ़कर कुछ नहीं कर रहे है। जिला प्रशासन उन्हेंं गांवों की सूची से बाहर कर चुका है, नगर निगम प्रशासन अभी पूरी तरह अपना मान नहीं रहा है। ऐसे में इन गांवों के लोग जिला प्रशासन और नगर निगम के बीच सुविधाओं को पाने के लिए झूल रहे हैं।

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करौंदी ( आदित्यनगर) प्रधानपति देवाशीष ने बताया कि पहले के आंशिक भाग जो नगर निगम में शामिल थे उसमें 65 लोगों को एक हजार महीने नगर निगम की तरफ से लाभ मिला है जबकि नए परिसीमन में शामिल गांव को लाभ नहीं मिला है, सूची विधायक को दिया गया है। सुसुवाही के प्रधान प्रतिनिधि गुड्डू पटेल ने बताया की ब्लॉक पर गांव की सूची दिया था जिसमें तहसील से 45 लोगों के खाते में पैसा आया है शेष लोगों को न तो नगर निगम का लाभ मिला और न ही गांव का। डाफी प्रधानपति अजय पांडेय ने बताया कि अभी तक ग्रामीण या नगर निगम से कोई लाभ नही मिला है जबकि कुछ मजदूरों की सूची दिया हूं। मजदूरों को खुद से राशन की व्यवस्था करके बांटा गया है। नासिरपुर प्रधानपति गोपाल यादव और चितईपुर प्रधान सलगू पटेल ने बताया कि नगर निगम या गांव की तरफ से कोई सरकारी सुविधाएं नही मिली हैं। ककरमत्ता गांव के प्रधान प्रतिनिधि वकील अंसारी का कहना है कि दिसंबर माह से ब्लाक द्वारा कार्य पर रोक लगा दी गयी है जबकि नगर निगम से भी कोई सुविधा नहीं मिल रही है। जरूरतमंद पचास लोग जिन्हे राशन कार्ड नहीं है उनकी सूची लेखपाल को दिए करीब महिनाभर हो गये मगर अबतक उन्हेंं राशन उपलब्ध नहीं हो सका है। नगर निगम द्वारा दिए जाने वाले एक हजार रुपये का लाभ भी कुछ ही लोगों को मिला है। अवलेशपुर गांव के प्रधान कमलेश पाल का कहना था कि अभी गांव के ही नियम लागू हैं। मनरेगा का कार्य नहीं हो पा रहा है। करीब 35 लोगों के खाते में एक हजार रुपया आया है। महेशपुर गांव के विजय यादव का भी कहना था कि अभी शहर की सुविधाएं नहीं मिल रही हैं गांव का ही नियम चल रहा है। करीब 80 लोगों के खाते में पैसा आ गया है।नगर आयुक्त गौरांग राठी ने कहा कि गांवों को नगर निगम सीमा में शामिल करने का अंतिम अधिसूचना जारी नहीं होने से वहां जिला प्रशासन काम देख रहा है। जब तक नगर निगम में अंतिम रुप से गांवों को शामिल नहीं कर लिया जाता वहां की व्यवस्था जिला प्रशासन देखेगा।

सैनिटाइजेशन का भी नहीं हुआ है भुगतान

नगर निगम में शामिल और शहर से ठीक सटे लहरतारा के प्रधान प्रतिनिधि आशीष कुमार पारस ने बताया कि गांव में 3 वर्षो से कोई सफाई कर्मी नही है। शहर से पास में होने के कारण लोगों ने सैनिटाइजेशन की मांग की तो अपने पैसे से इसे कराया लेकिन अब तक इसका भुगतान नहीं हो सका है। गांव में तीन सौ लोगों के पास राशन कार्ड नहीं है। इसकी सूची दी गई है। सरकार द्वारा दिए जाने वाले एक हजार रुपये का लाभ भी केवल 138 लोगों को मिला है। उधर, शिवदासपुर के प्रधान प्रतिनिधि चंदन गुप्ता का कहना है कि 40 से 45 लोगो का फार्म भराया गया लेकिन 1000 रुपये का मिलने वाला लाभ अभी तक नही मिला है, न ही विसंक्रमित दवाओं के छिड़काव का भुगतान हो सका है।


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