72 घंटे पहले माइक बताएगा बाढ़ की स्थिति, केंद्रीय जल आयोग उपयोग में ला रहा नया साफ्टवेयर
बाढ़ की स्थिति तीन दिन यानी 72 घंटे पहले ही बताने के लिए केंद्रीय जल आयोग इस साल नया सॉफ्टवेयर माइक-11 उपयोग में लाने जा रहा है।
वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। बाढ़ की स्थिति तीन दिन यानी 72 घंटे पहले ही बताने के लिए केंद्रीय जल आयोग इस साल नया सॉफ्टवेयर 'माइक-11' उपयोग में लाने जा रहा है। गंगा बेसिन में आने वाले देहरादून से कोलकाता तक के सभी मंडल कार्यालयों को निर्देश दिया गया है कि इस साफ्टवेयर में 2019 के भी सभी डेटा फीड किए जाएं। वैसे इस कार्य को वाराणसी कार्यालय ने पूरा कर लिया है। सभी कार्यालय जब पुराने डेटा को फीड कर लेंगे तो इसका जल्द ही देशभर में एक साथ ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा। वैसे इस साल बाढ़ की फोरकास्टिंग पुरानी पद्धति यानी मैनुअली ही जारी की जाएगी। नए साफ्टवेयर का अभी सिर्फ विभागीय उपयोग ही किया जाएगा ताकि दोनों के परिणाम की तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार की जा सके। इसके परिणाम सही आने पर अगले साल से इससे फोरकास्ट भी किया जाने लगेगा।
बेसिक मॉडलिंग साफ्टवेयर
माइक-11 एक बेसिक मॉडलिंग साफ्टवेयर है। नदियों की चौड़ाई, बहाव, सतह आदि इनपुट डाले जाएंगे। इसके बाद कंप्यूटर के माध्यम से जल स्तर की वास्तविक जानकारी तीन दिन पहले पता चल जाएगी। करीब एक दशक से बेस स्टेशन से ट्रैवेल टाइम को आधार मानकर जलस्तर की जानकारी दी जाती है। यहां पर गंगा का बेस स्टेशन कानपुर व यमुना का हमीरपुर में हैं। नए साफ्टवेयर के शुरू हो जाने के बाद एक साथ जानकारी जारी की जाएगी।
तीन स्तर की जानकारी
गंगा बेसिन में देहरादून, लखनऊ, वाराणसी, पटना एवं कोलकाता मंडल शामिल हैं। गंगा बेसिन सहित अन्य नदियों के लिए भी इस साफ्टवेयर में तीन स्तर की जानकारी डाली जाएगी। इसमें रेन फाल का भी डेटा फीड किया जाएगा, ताकि बारिश के कारण नदी में होने वाले बढ़ाव की जानकारी हो सके। साथ ही क्रास सेक्शन से डैम में पानी की स्थिति का पता चलेगा। एडवांस सेक्शन, जिससे लीड टाइम की ज्यादा जानकारी मिल सकेगी। यहां से जुड़े दो प्रमुख बांध रिहंद (उत्तर प्रदेश) व बाणसागर (मध्य प्रदेश) है।
बाढ़ पूर्वानुमान प्रबोधन निदेशालय नई दिल्ली से निर्देश मिलते ही इससे ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा
माइक-11 साफ्टेवयर यहां पर मई में आया है। इसमें पुराना डेटा फीडिंग का कार्य पूरा हो गया है। बाढ़ पूर्वानुमान प्रबोधन निदेशालय नई दिल्ली से निर्देश मिलते ही इससे ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा। इस साल सिर्फ विभागीय कार्य के लिए उपयोग किया जाएगा। उम्मीद है अगले साल से इससे बाढ़ की फोरकास्टिंग शुरू हो जाएगी। इसके शुरू होने से तीन दिन पहले ही बाढ़ की स्थिति का पता चल जाएगा। ऐसा होने से बाढ़ से होने वाले भारी नुकसान से बचने में सहायता होगी।
- शाश्वत राय, अधिशासी अभियंता, मध्य गंगा मंडल-3, वाराणसी (केंद्रीय जल आयोग)