टीबी रोग से ग्रस्त 500 बच्चे लिए गए गोद, 2022 तक टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को पूरा करने का डीएम ने लिया संकल्प
टीबी से ग्रस्त बच्चों को हर वर्ग और संस्था के लोग अपनाकर देश को टीबी मुक्त करने में सहयोग प्रदान करें।
वाराणसी, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य है कि 2022 तक टीबी मुक्त भारत का निर्माण किया जाए। इसी क्रम में लोगों को प्रेरित किया जा रहा है कि टीबी से ग्रस्त बच्चों को हर वर्ग और संस्था के लोग अपनाकर देश को टीबी मुक्त करने में सहयोग प्रदान करें। इसी पहल पर जिले में 18 वर्ष से कम उम्र के टीबी से ग्रस्त चिन्हित किए गए जिन्हें जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा समेत 500 लोगों और संस्थाओं ने गोद लिया है।
सीएमओ ने बताया कि चिन्हित बच्चों को सामाजिक सगठनों, सीडीओ कार्यालय, सीएमओ कार्यालय, जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय, रेड क्रास सोसायटी, लायंस क्लब, रोटरी क्लब, उघोग व्यापार मंडल एवं आइएमए ने गोद लिया है। गोद लेने वाले लोगों को कहा गया है कि अपनी जिम्मेदारी पर बच्चों के घर जाकर मिलें। बच्चों को दवाईयां लेने का क्रम समझाएं तथा अगले 15 दिनों के लिए मूंगफली, गुड, चना, सत्तू व मौसमी फल आदि उपलब्ध कराएं जिसका सेवन बच्चे 15 दिन तक कर सकें। इसकी शुरुआत करते हुए जिलाधिकारी गोद लिए आठ वर्षीय बालक आयुष सिंह के अन्नपूर्णा नगर कालोनी के घर पहुंचे। अजय का पुत्र आयुष ट्यूबरकूलर एक्जीलरी लिम्फेडनाइटिस लेफ्ट साइड (एक्स्ट्रा पलम्यूनरी टीबी) का मरीज है। जिलाधिकारी ने दवाइयों के सेवन खान-पान के बारे में विस्तृत रूप से परिजनों से चर्चा की। जिलाधिकारी ने बच्चे को 15 दिन के लिए नारंगी, गुड, मूंगफली से बनी मिठाईयां इत्यादि देते हुए बताया कि प्रत्येक दिन दवा के साथ-साथ फल एवं मिठाई भी खाओ एवं इसकी फोटो भी सुरक्षित रखना।
जिलाधिकारी के निर्देश पर सीएमओ हबीबपुरा निवासी 12 वर्ष की साक्षी साह के घर पहुंचे। साक्षी पाट्स स्पाईन (एक्स्ट्रा पलम्यूनरी टीबी) से ग्रसित है। उसकी जिम्मेदारी लेते हुए बच्चे को 15 दिनों के लिए फल व दवाईयां आदि सौंपा। पहले में आरएनटीसीपी के डा. वीके सिंह, क्षेत्रीय सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाईजर धर्मेंद्र सिंह एवं टीबी हेल्थ विजीटर संदीप कौशल शामिल रहे।