जलकल के फिल्टर प्लांट को 250 करोड़ का 'अमृत'
अभी शहर गंभीर पेयजल त्रासदी की मार झेल रहा है, क्योंकिभेलूपुर में स्थापित एक मात्र वाटर फिल्टर प्लांट अंतिम सांसें गिन रहा है।
संग्राम सिंह, वाराणसी: अभी शहर गंभीर पेयजल त्रासदी की मार झेल रहा है, क्योंकि भेलूपुर में वर्ष 1892 को स्थापित एकमात्र वाटर फिल्टर प्लांट आखिरी सांसें गिन रहा है। वैसे जलकल विभाग की फाइलों में ट्रीटमेंट करने की क्षमता 250 एमएलडी है, लेकिन मशीन दशकों से खराब होने से 100 एमएलडी ही आपूर्ति हो पा रही है, इसमें भी 56 फीसद पेयजल बर्बाद हो रहा है। केंद्र सरकार ने शहर के इस विकराल संकट का समाधान खोजने को कहा है। करीब 250 करोड़ रुपये से जीर्णोद्धार का डीपीआर तलब किया गया है। उत्तर प्रदेश जल निगम की इंजीनिय¨रग टीम ने सर्वे पूरा कर लिया है, अब सप्ताह भर में यह डीपीआर शासन को भेजने की तैयारी है।
फिल्टर प्लांट को अटल मिशन फार रेजुवेंशन एंड अर्बन ट्रांसफार्मेशन (अमृत) योजना से अपग्रेड करने की तैयारी शुरू हो चुकी है। सप्ताह भर पहले केंद्र सरकार ने इसका विस्तृत डीपीआर मांगा। जल निगम की पेयजल इकाई ने इस संबंध में विस्तृत कार्य शुरू कर दिया है। सर्वे में पाया है कि इंटेक फिल्टर व क्लोरीनेटर प्लांट को आधुनिक मॉडल से जीर्णोद्धार कराने की जरुरत है, इसके अलावा कई और काम चयनित किए गए हैं। करीब ढाई सौ करोड़ रुपये लागत का आंकलन किया गया है। काम पूरा होने पर फिल्टर प्लांट से 250 एमएलडी पेयजल आपूर्ति हो सकेगी, इससे 20 लाख आबादी को सरफेस वाटर की प्यास आसानी से बुझाई जा सकेगी।
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बनारस की अब अलग से समीक्षा
केंद्र सरकार की इन दिनों बनारस पर खास निगाह है। जायका, अमृत व नमामि गंगे योजना के तहत चल रहे कार्यो की अलग से मानीट¨रग की जा रही है, बीते दिनों शासन में बनारस की अलग बैठक बुलाई गई थी, जिसमें पेयजल कनेक्शन समेत कई दूसरे कार्यो को समय पर पूर्ण करने के निर्देश मिले हैं।