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Sarnath Archaeological Museum 187 दिन बाद आज खुलेगा, प्रवेश के लिए ई-टिकट का इंतजाम

वाराणसी सारनाथ स्थित पुरातात्विक संग्रहालय 187 दिन बाद सोमवार को पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 08:32 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 09:30 AM (IST)
Sarnath Archaeological Museum 187 दिन बाद आज खुलेगा, प्रवेश के लिए ई-टिकट का इंतजाम
Sarnath Archaeological Museum 187 दिन बाद आज खुलेगा, प्रवेश के लिए ई-टिकट का इंतजाम

वाराणसी, जेएनएन। सारनाथ स्थित पुरातात्विक संग्रहालय 187 दिन बाद सोमवार को पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा। यह संग्रहालय 1910 से शुरू होने के बाद ऐसा पहला मौका है कि कोरोना वायरस के चलते 187 दिनों तक पर्यटक अपने देश का राष्ट्रीय चिह्न सिंह शीर्ष का दीदार नहीं कर पाए। पर्यटक ई टिकट व शारिरिक दूरी का पालन करने के साथ ही प्रवेश करेंगे। इसके लिए पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने संग्रहालय के एक गेट से पर्यटक जाएंगे तथा दूसरे गेट निकलने की व्यवस्था की गई है। शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिए गेट से संग्रहालय भवन तक गोल निशान बनाये गए है ।

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कोरोना महामारी के चलते 17 मार्च से सभी पुरातात्विक स्थल व संग्रहालय में पर्यटकों के प्रवेश पर रोक लगा दी गयी थी लेकिन अनलॉक 4 में भारतीय पुरातत्व विभाग क्रम वार स्मारक स्थलों को खोलना शुरू कर दिया है । अब तीसरे चरण में 21 सितंबर, सोमवार को संग्रहालय खुलेगा। इसके लिए रविवार को पूरे दिन कर्मचारियों ने साफ सफाई व गोल निशान के साथ ई टिकट जांच करने के लिए स्थान ठीक किया गया। जबकि इसके पूर्व 7 सितंबर को पुरातात्विक खंडहर परिसर व 14 सितंबर को चौखंडी स्तूप खोल दिया गया है ।

संग्रहालय में रखे राष्ट्रीय चिह्न व अन्य प्रतिमाओं का करेंगे अवलोकन

सारनाथ संग्रहालय देश का राष्ट्रीय चिह्न सिंह शीर्ष होने से काफी महत्वपूर्ण सग्रहालय माना जाता है । यहां आने वाले पर्यटक राष्ट्रीय चिह्न जरूर देखते है और पर्यटक देखते ही सर झुका देते है। इसी के साथ गुप्तकाल की बुद्ध के धर्म चक्र प्रवर्तन मुद्रा वाली प्रतिमा पर्यटकों को एक बार रोक ही देती है। इस सग्रहालय में लगभग 300 से अधिक पुरावशेष रखे गए है ।

सारनाथ स्थित पुरातात्विक धरोहर चौखंडी स्तूप का संरक्षण कार्य शुरू

सारनाथ में पुरातात्विक धरोहर चौखंडी स्तूप के प्राचीन अस्तित्व को बनाए रखने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा पूरब दक्षिण दिशा की तरफ जीर्णोद्धार कार्य शुरू कर दिया गया है। चौखंडी स्तूप के पूरब व दक्षिण दिशा की तरफ की प्राचीन ईंट जगह-जगह से दरक कर उखड़ गई थी जिससे स्तूप के अस्तित्व को खतरा हो गया था। चौखंडी स्तूप की ऐतिहासिकता को बचाए रखने के लिए विभाग के संरक्षण सहायक रजनीश कुमार ङ्क्षसह की देखरेख में एक दर्जन मजदूरों के साथ जीर्णोद्धार का कार्य शुरू कर दिया गया है। पुरातात्विक स्वरूप में ईंट, चूना, सुर्खी, बालू के साथ सूखे बेल के गोंद का मिश्रण तैयार कर इसे बनाया जा रहा है। जीर्णोद्धार में लगभग दो माह का समय लगेगा। चौखंडी स्तूप अष्टकोणीय स्मारक है। इसका निर्माण राजा टोडरमल के पुत्र गोवर्धन ने जो अकबर के अधीन गवर्नर थे, 1588 में कराया था। मुगल शासक हुमायूं ने इस स्थान पर एक रात विश्राम किया था, जिसकी याद में इस बुर्ज का निर्माण संभव हुआ।


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