Mirzapur में विजयादशमी पर रावण का सिर कलम करने की 150 वर्ष पुरानी परंपरा टूटी
मीरजापुर जिले में विजयादशमी पर्व पर ड्रमंडगंज बाजार में दस सिर वाले रावण का सिर कलम करने की 150 वर्ष की पुरानी परंपरा कोरोना वायरस ने तोड़ दिया। रविवार को ड्रमंडगंज के संघ स्थान (दशहरा मैदान में) कोरोना संक्रमित रावण का पुतला दहन कर लोगों ने जश्न मनाया।
मीरजापुर, जेएनएन। विजयादशमी पर्व पर ड्रमंडगंज बाजार में दस सिर वाले रावण का सिर कलम करने की 150 वर्ष की पुरानी परंपरा कोरोना वायरस ने तोड़ दिया। रविवार को ड्रमंडगंज के संघ स्थान (दशहरा मैदान में) कोरोना संक्रमित रावण का पुतला दहन कर लोगों ने जश्न मनाया। रामलीला मैदान से चलकर भगवान राम की सेना ड्रमंडगंज बाजार के संघस्थान (दशहरा मैदान) पर पहुंची और राम-रावण संवाद के बाद युद्ध प्रारंभ हो गया। क्षण भर में रावण की राक्षसी सेना को राम की वानरी सेना ने मार डाला। भगवान राम ने रावण को मारकर विभीषण को लंका का राजा बना दिया। इसके बाद रावण का सिर कलम न करके उसके पुतले का दहन किया गया।
ड्रमंडगंज रामलीला कमेटी के अध्यक्ष ओंकार केशरी ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते विगत वर्षों की भांति सिर कलम करने के लिए रावण के विशाल पुतले का निर्माण नहीं कराया जा सका था। इस वर्ष रावण का साधारण पुतला तैयार किया गया था। ऐसे में इस वर्ष सिर कलम करने की बजाय रावण के पुतले का दहन किया गया। आगे से पूर्वजों द्वारा कायम इस परंपरा को फिर से शुरू किया जाएगा। ड्रमंडगंज में विजयदशमी के अवसर पर रावण के पुतले का सिर कलम देखने के लिए क्षेत्रीय लोगों के अलावा पड़ोसी जिले प्रयागराज तथा मध्यप्रदेश से सैकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ती है लेकिन कोरोना संक्रमण ने डेढ़ सौ वर्षों से चली आ रही इस बार भीड़ भी बहुत कम रही।