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संस्कृत सभी साहित्यों का जन्मदाता

जागरण संवाददाता, वाराणसी : राजघाट फाउंडेशन दिल्ली के प्रो. अनिल दत्त मिश्रा ने कहा कि आधुनिक भारत

By Edited By: Published: Sat, 28 May 2016 07:47 PM (IST)Updated: Sat, 28 May 2016 07:47 PM (IST)
संस्कृत सभी साहित्यों का जन्मदाता

जागरण संवाददाता, वाराणसी : राजघाट फाउंडेशन दिल्ली के प्रो. अनिल दत्त मिश्रा ने कहा कि आधुनिक भारत की संस्कृति एवं परंपराओं को समझने के लिए गांधी, अंबेडकर और भारतीय राजनीतिक चिंतकों की अति आवश्यकता है। उन्होंने संस्कृत साहित्य पर अधिक जोर दिया। कहा कि संस्कृत सभी साहित्यों की जन्मदाता है।

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प्रो. अनिल शनिवार को काशी ¨हदू विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग की ओर से प्रो. एचएन त्रिपाठी हाल में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। समारोह में प्रो. अजीजी ने संस्कृति और शिक्षा पर अधिक बल दिया। बीएचयू सामाजिक विज्ञान संकाय के प्रमुख प्रो. मंजीत चतुर्वेदी ने साहित्य में तत्व बोध पर जोर दिया और कहा कि हमेशा तत्व के मूल की खोज होनी चाहिए। संगोष्ठी में 250 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। इसमें डा. मंजरी, अंशिका पांडेय, कृष्णानंद ने साहित्य में मनुस्मृति को प्रमुखता से प्रस्तुत किया। विभागाध्यक्ष प्रो. कौशल किशोर मिश्र ने आभार प्रकट किया। इस मौके पर चंदन कुमार, अंशु मोहन, मनोज कुमार, प्रदीप प्रसाद, शैलेश कुमार, शिव, राहुल, अंजनी यादव, पूनम कुमारी आदि मौजूद थीं।


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