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वाराणसी में आठ बार हुए उपचुनाव के बाद भी 132 ग्राम पंचायत सदस्य पद खाली

आम चुनाव के बाद आठ बार उपचुनाव हुए लेकिन जनपद में 132 पद अब भी खाली हैं। गांवों के लोगों को ग्राम पंचायत सदस्य बनने में कोई रुचि ही नहीं है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 04 Feb 2020 08:10 AM (IST)Updated: Tue, 04 Feb 2020 08:43 AM (IST)
वाराणसी में आठ बार हुए उपचुनाव के बाद भी 132 ग्राम पंचायत सदस्य पद खाली
वाराणसी में आठ बार हुए उपचुनाव के बाद भी 132 ग्राम पंचायत सदस्य पद खाली

वाराणसी [अशोक सिंह]। त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली में ग्राम प्रधान का पद सबसे महत्वपूर्ण होता है। वही ताकतवर प्रधान कभी गांव के प्रथम जनप्रतिनिधि ग्राम पंचायत सदस्य से डरकर उन्हें मिलाकर रखते थे। ग्राम पंचायत सदस्य भी अपने मनमाफिक विकास कार्य प्रधानों से कराते थे। आज स्थिति यह है कि गांवों के लोगों को ग्राम पंचायत सदस्य बनने में कोई रुचि ही नहीं है। इसी का परिणाम है कि आम चुनाव के बाद आठ बार उपचुनाव हुए लेकिन जनपद में 132 पद अब भी खाली हैं।

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त्रिस्तरीय पंचायत के आम चुनाव को चार वर्ष से अधिक समय बीत चुका है। उसके बाद से प्रत्येक छह माह पर उपचुनाव कराए जाते रहे हैं। हर बार नामांकन पत्र आमंत्रित किए जाते हैं लेकिन लोग ग्राम पंचायत सदस्य बनने में रुचि नहीं लेते हैं। अब एक बार फिर उपचुनाव की प्रक्रिया चल रही है। इस बार 133 पद खाली थे। इनमें से मात्र एक पद के लिए नामांकन हुआ और फिर 132 पद खाली रह गए। उपचुनाव की समय सीमा अब समाप्त हो गई है इसलिए ये पद आम चुनाव तक खाली ही रहेंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि सदस्य दो तिहाई हो गए तो ग्राम प्रधान कार्यकारिणी का गठन मान लिया जाता है। आम चुनाव के बाद दर्जनों गांवों में प्रधान का चयन तो हो गया लेकिन कार्यकारिणी गठित नहीं हुई। उपचुनाव हुए तो प्रधानों ने पैसे लगाकर लोगों का नामांकन कराया। तब जाकर प्रधान की कार्यकारिणी का गठन हो सका। गांवों की हकीकत यह है कि ग्राम पंचायत सदस्यों की बैठकें नहीं होती। इसके बावजूद प्रस्ताव पास हो जाते हैं। रुचि तो छोडि़ए कुछ तो आज अपने को ग्राम पंचायत सदस्य बताने में भी संकोच करते हैं। सदस्यों की भूमिका महज तमाशबीन की रह गई है।

अविश्वास प्रस्ताव का अधिकार समाप्त

ग्राम पंचायत सदस्यों के इर्द-गिर्द कभी प्रधानी चलती थी। इसकी वजह यह है कि ग्राम पंचायत सदस्यों के पास प्रधानों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का अधिकार था। करीब डेढ़ दशक पूर्व प्रधानों ने आवाज उठाई की जब हमें गांव की जनता चुनती है तो ग्राम पंचायत सदस्य कैसे हमें पद से हटा सकते हैं। शासन ने ग्राम प्रधानों की सुनी और ग्राम पंचायत सदस्यों से प्रधान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का अधिकार छीन लिया।

दो तिहाई सदस्य होने अनिवार्य

ग्राम प्रधान की कार्यकारिणी के गठन के लिए ग्राम पंचायत में दो तिहाई सदस्य होने अनिवार्य है। ऐसा नहीं होने पर प्रधान को दो तिहाई सदस्य होने तक इंतजार करना पड़ता है।

-आरआर वर्मा, सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी पंचस्थानिक।

त्रिस्तरीय पंचायत की स्थिति

ग्राम प्रधान पद-760

बीडीसी पद-1199

ग्राम पंचायत सदस्य-9928

न्याय पंचायत-108


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