कानपुर-लखनऊ रेलवे ट्रैक पर हाईस्पीड देने का काम शुरू
हाई स्पीड ट्रेनों के लिए अजगैन और गंगाघाट स्टेशन के बीच वजनदार ट्रैक व स्लीपर का बिछना शुरू हो गया है। बुधवार को 60 किलो के ट्रैक की खेप रेल पथ विभाग को उपलब्ध करायी गई। जिसे दोपहर में अजगैन भेजा गया। इसके बाद ब्लाक लेकर वरिष्ठ खंड अभियंता रेल पथ ने ट्रैक और स्लीपर को सुरक्षित कराया। हर दिन करीब 500 मीटर ट्रैक बदला जाएगा।
जागरण संवाददाता, उन्नाव : हाई स्पीड ट्रेनों के लिए अजगैन और गंगाघाट स्टेशन के बीच वजनदार ट्रैक व स्लीपर का बिछना शुरू हो गया है। बुधवार को 60 किलो के ट्रैक की खेप रेल पथ विभाग को उपलब्ध करायी गई। जिसे दोपहर में अजगैन भेजा गया। इसके बाद ब्लाक लेकर वरिष्ठ खंड अभियंता रेल पथ ने ट्रैक और स्लीपर को सुरक्षित कराया। हर दिन करीब 500 मीटर ट्रैक बदला जाएगा।
कानपुर-लखनऊ रूट पर बिछाए जा रहे हाई स्पीड ट्रैक और स्लीपर में तकनीकी सहयोग लखनऊ का अनुसंधान अभिकल्प व मानक संगठन (आरडीएसओ) द्वारा किया जाएगा। इसके लिए लखनऊ रेल मंडल के अधिकारियों को स्थानीय तौर पर पत्र लिखा जा चुका है। सूत्रों का कहना है कि दीपावली के बाद नॉन इंटरलॉकिग कार्य को लेकर रेलवे बोर्ड फैसला लेगा। इस बात को ध्यान में रखकर रेल पथ विभाग के साथ एसएनटी और निर्माण खंड की टीम ने अपने हिस्से का कार्य शुरू किया है। मंडल रेल प्रबंधक संजय त्रिपाठी ने अजगैन और गंगाघाट के बीच होने जा रहे कार्य को लेकर रेलखंड के उच्चाधिकारियों को निर्देशित कर दिया है। मंडल अधिकारियों के मुताबिक 30 नवंबर तक नॉन इंटरलॉकिग (एनआइ) कार्य होना है। इससे पहले अजगैन से उन्नाव के बीच के सेक्शन को हाईस्पीड ट्रेन के लायक तैयार कराना है। करीब 16 किमी का यह सेक्शन है। 1500 स्लीपर के बाद ट्रैक की उपलब्धता शुरू करायी गई है। दोपहर में करीब ढाई घंटे के ब्लाक में वरिष्ठ खंड अभियंता रेल पथ विकास कुमार की निगरानी में कार्य कराया गया। हर दिन ट्रैक-स्लीपर बदले जाएंगे। नए ट्रैक पर 160 की स्पीड ट्रेनों को मिलेगी। इसमें तेजस ट्रेन है। जो अभी कानपुर और लखनऊ के मध्य 110 की औसत से दौड़ रही। इसके बाद ट्रेन फुल स्पीड से दौड़ेगी।
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वर्तमान में 54 किलो के स्लीपर व ट्रैक
- 110 किमी की औसत स्पीड वाले कोच कानपुर-लखनऊ रूट पर दौड़ते हैं। उन्नाव रेल पथ विभाग से जुड़े खंड गंगाघाट और अजगैन स्टेशन के बीच 54 किलो के स्लीपर और ट्रैक हैं। जिन्हें 60 किलो में तब्दील किया जा रहा है। यही नहीं, जिन रेल खंड में ट्रैक व स्लीपर किसी न किसी कारण से बदले जा चुके हैं तो उन्हें भी बदला जाएगा।