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तहसील दिवस में नहीं पहुंचने वाले लेखपाल नपेंगे

मंगलवार को संम्पूर्ण समाधान दिवस में जहां तहसीलों में फरियादियों की भीड उमड़ी। वहीं राजस्व मामलों में इनकी सुनकर समस्या का हल निकालने वाले अधिकारी भी कुछ न कर सके। इसका कारण था कि लेखपालों के बिना राजस्व विवाद का निपटारा कैसे हो। सभी तहसीलों में यह स्थिति देखने को मिली। जहां उच्चाधिकारियों को कठिनाई का सामना करना पड़ा। मामले पर गंभीरता दिखाते हुए उच्चाधिकारियों ने बगैर अनुमति के सब काम छोड़कर धरने पर अड़े लेखपालों पर कार्रवाई की बात कही है। वहीं शासन व प्रशासन से किसी भी प्रकार की कार्रवाई से बेफिक्र लेखपाल धरना देते रहे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Dec 2019 07:10 PM (IST)Updated: Wed, 18 Dec 2019 06:08 AM (IST)
तहसील दिवस में नहीं पहुंचने वाले लेखपाल नपेंगे
तहसील दिवस में नहीं पहुंचने वाले लेखपाल नपेंगे

जागरण संवाददाता, उन्नाव : मंगलवार को संपूर्ण समाधान दिवस में जहां तहसीलों में फरियादियों की भीड़ उमड़ी। वहीं राजस्व मामलों में इनकी सुनकर समस्या का हल निकालने वाले अधिकारी भी कुछ न कर सके। इसका कारण था कि लेखपालों के बिना राजस्व विवाद का निपटारा कैसे हो। सभी तहसीलों में यह स्थिति देखने को मिली। जहां उच्चाधिकारियों को कठिनाई का सामना करना पड़ा। मामले पर गंभीरता दिखाते हुए उच्चाधिकारियों ने बगैर अनुमति के सब काम छोड़कर धरने पर अड़े लेखपालों पर कार्रवाई की बात कही है। वहीं शासन व प्रशासन से किसी भी प्रकार की कार्रवाई से बेफिक्र लेखपाल धरना देते रहे।

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आठ सूत्रीय मांगों को लेकर संघर्षरत लेखपालों को एक सप्ताह से अधिक समय हो गया। पहले तहसील अब मुख्यालय पर धरना दे रहे लेखपालों की मांग है कि उनकी जरूरतें पूरी की जाएं। जब तक शासन उनकी मांगे पूरी नहीं करेगा तब तक उनकी लड़ाई जारी रहेगी। लेखपालों के धरने से तहसीलों के लगभग काम ठप हैं। किसान और फरियादी भटक रहे हैं। लेखपालों ने कहा कि जब तक हमारी मांगे मानते हुए शासनादेश जारी नहीं होता है। तब तक संघर्ष जारी रहेगा। संघर्ष जिले से प्रदेश स्तर पर ले जाने की जानकारी देते हुए लेखपालों ने बताया कि मुख्यालय के बाद 27 दिसंबर से विधानसभा के सामने धरना शुरू किया जाएगा। वहीं लेखपालों की इस लड़ाई का जहां तनिक भी असर शासन व प्रशासन पर अब तक पड़ता नहीं दिखाई दिया है। वहीं तहसील में लेखपालों से जुड़े सभी काम ठप हैं। फरियादी मायूस होकर लौट रहे हैं। उच्चाधिकारी चाह कर भी उनकी मदद नहीं कर पा रहे है। लेखपालों की हठधर्मिता पर डीएम ने पहले ही चेताया था। अब एसडीएम ने तहसील स्तर पर ही कार्रवाई करने का मन बनाया है। इस बाबत लेखपालों को नोटिस आदि देकर वेतन रोकने, निलंबन आदि कार्रवाई का डर दिखाया जा रहा है। हालांकि प्रशासन के इन पैंतरों का असर लेखपालों पर फिलहाल पड़ता नहीं दिख रहा है। उप्र लेखपाल संघ जिलाध्यक्ष सुधीर कुमार बाजपेई मंत्री रजनीश कुमार ने कहा कि हम दमनात्मक कार्रवाई से खौफ खाकर पीछे हटने वाले नही हैं।


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