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प्रधान और सभासदों की जागीर बने सामुदायिक इज्जतघर

व्यक्तिगत इज्जत घर के निर्माण में खामी और अधूरे कार्यों से मजबूर ग्रामीणों व नगर पंचायतों के गरीबों को सुलभ इज्जत घरों की सुविधा यहां के जिम्मेदारों की जागीर बन गई है ग्राम पंचायतों से लेकर नगर पंचायतों तक यह हालात पाए जा रहे हैं जहां की प्रधानों व सभासदों ने सामुदायिक इज्जत घरों में अपने ताले लगा दिए हैं। जिससे राहगीर व ग्रामीण सहित अन्य जरूरतमंद इस सरकारी सुविधा का फायदा नहीं उठा पा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Nov 2019 11:46 PM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 06:25 AM (IST)
प्रधान और सभासदों की जागीर बने सामुदायिक इज्जतघर
प्रधान और सभासदों की जागीर बने सामुदायिक इज्जतघर

जागरण संवाददाता, उन्नाव : गरीबों को मिली सुलभ इज्जतघरों की सुविधा ग्राम प्रधानों और सभासदों की 'जागीर' बन गई है। ग्राम पंचायतों से लेकर नगर पंचायतों तक यही हालात हैं। यहां सामुदायिक इज्जतघरों में ताले लटक रहे हैं। इस वजह से राहगीर, ग्रामीण व अन्य जरूरतमंद सरकारी सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे।

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जनपद की 1043 ग्राम पंचायतों के बीच फिलहाल 65 गांव ऐसे हैं, जहां स्वच्छ भारत मिशन के तहत मिले बजट की शेष राशि से सामुदायिक इज्जत घर के निर्माण कराए गए हैं। एक सामुदायिक शौचालय की लागत दो लाख रुपये है, जिसमें 1.80 लाख जिला पंचायती राज और शेष 20 हजार रुपये संबंधित ग्राम पंचायत से लिए गए हैं। इनका उद्देश्य खुले में शौच से पूरी तरह मुक्ति दिलाना है। वहीं नगर पंचायतों में एक सामुदायिक इज्जतघर की लागत पांच लाख रुपये है। इन पर भी कब्जा हो चुका है।

नगर पंचायत ऊगू में बंद हैं सामुदायिक इज्जत घर

नगर पंचायत ऊगू में भी सामुदायिक इज्जतघर पर ताला लटक रहा है। ऐसे में मोहल्ला तरखला, गढ़ी व नेवादा के तमाम लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। वार्ड नंबर दो व आठ के सुधीर, प्रदीप, दीपू आदि ने बताया कि ये इज्जतघर कभी नहीं खुलते हैं। वार्ड नं. चार के पप्पू, सजीवन, रमेश ने बताया कि पिछले माह तालाबंदी हुई थी। तब से एक दिन भी इन्हें नहीं खोला गया। नगर पंचायत अध्यक्ष अनुज दीक्षित ने बताया कि सामुदायिक शौचालयों में काम चल रहा है। इसी वजह से तालाबंद किया जा रहा है। नगर पंचायत औरास में तीन पर ताले

12 हजार से अधिक वाले नगर औरास में अधिकांश सामुदायिक इज्जत घर बंद है। मुख्य चौराहे के निकट सामुदायिक इज्जत घर मे ताला लटका है। यही हाल सीएचसी के निकट बने सामुदायिक इज्जत घर का है। यहां प्राइवेट बस स्टैंड सहित दिल्ली जाने वाले रोडवेज बसों का आना जाना होता है। इन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

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तमाम जगहों पर सामुदायिक इज्जत घर में काम चल रहा है। हो सकता है इसीलिए ताला बंद हो। वैसे यह सही नहीं है। मैं दिखवाता हूं कि आखिर यह कैसे हो रहा है।

- आरपी यादव, जिला पंचायती राज अधिकारी मैं अचानक इसकी सच्चाई जानने के लिए अचानक ही जांच करवाऊंगा। यदि ऐसा पाया जाएगा तो संबधित जिम्मेदार से जबाव तलब किया जाएगा। वैसे ऐसा होना नहीं चाहिए।

- राकेश कुमार सिंह, एडीएम


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