जूठे बर्तन धोने वाले हाथों को हुनर देकर बदली 'जिदगी'
जितेंद्र कुमार उन्नाव घर व शादी-विवाह में लोगों के जूठे बर्तन माज या फिर मेहनत-मजदूरी क
जितेंद्र कुमार, उन्नाव
घर व शादी-विवाह में लोगों के जूठे बर्तन माज या फिर मेहनत-मजदूरी कर आर्थिक तंगी को दूर करने वाली महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का कार्य परिषदीय स्कूलों की महिला शिक्षकों के अलग-अलग समूह ने कोरोना काल में किया। यहां पर उन माताओं को भी रोजगार की राह दिखाई, जिन्होंने कुछ करने की सोची लेकिन उन्हें दिशा या उनका हौसला बढ़ाने वाला कोई नहीं मिला। ऐसी माताओं की प्रतिभाओं को पहचान शिक्षकों ने उन्हें आत्मनिर्भर बनाते हुए उनकी जिदगी में एक नई किरण ला दी। आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाया और हुनरमंद बनाते हुए उन्हें 'काम' दिया। इस अनूठे प्रयासों के बदौलत हजारों महिलाओं को बेहतर तरीके से जीने की सीख दी और समाज से जोड़ा।
बच्चों को शिक्षित करने के साथ उनकी माताओं को 'आत्मनिर्भर' बना रही महिला शिक्षकों में नगर क्षेत्र में करीब 51 शिक्षक हैं। जो कि अलग-अलग विद्यालयों की हैं। स्कूलों में आत्मनिर्भरता विषय पर उन्होंने कोरोना काल में कक्षाएं संचालित की। करीब 173 माताओं को किसी न किसी हुनर या कला सीखाई। माताओं को हुनरमंद बनाने के लिए उन्होंने कई नवाचारों को आधार बनाया।
शिक्षकों का कहना है कि आत्मनिर्भर भारत व नारी सशक्तीकरण की दिशा में सितंबर 2020 में उन्होंने मुहिम शुरू की। स्कूलों में प्राथमिक विद्यालय कब्बाखेड़ा और उच्च प्रावि आवास विकास व राजेपुर, कब्बाखेड़ा, बाबूगंज सहित गलगलहा, मोहारीबाग, डायट कैंपस, किला, हाकिमटोला स्थित परिषदीय विद्यालय हैं। कोरोना काल में स्कूलों में प्रभावित शिक्षण व्यवस्थाओं को ऑनलाइन कक्षाओं से पटरी पर लाने की कवायद के साथ शिक्षकों ने एकजुट होकर आत्मनिर्भरता एवं आत्मनिर्भर मुहिम की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि संकट काल में 'आत्मनिर्भर भारत' को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी का संबोधन सुन शिक्षकों ने हुनर व कला की दिशा में कुछ न कुछ करने की ठानी। ऐसे बच्चों के परिवार से संपर्क किया, जो आर्थिक तंगी से गुजर रहे थे।
घर की सजावटी सामग्री बनाने का कौशल : महिलाओं को रोजगार की राह दिखाने के लिए शिक्षकों ने उन्हें कई रास्ते दिखाए। प्रावि कब्बाखेड़ा की सहायक शिक्षक सनोबर फातिमा सहित हुमा वसी, सुजाता गुप्ता सहित नगर क्षेत्र के ही दूसरे परिषदीय स्कूलों में पढ़ रहे शिक्षकों में श्रद्धा सिंह, पूनम मिश्रा, स्मिता, हिना का कहना है कि स्वरोजगार के लिए बच्चों की माताओं को प्रेरित करने का कार्य किया गया। यह कवायद अभी भी जारी है। मेहंदी लगाना, सिलाई-कढ़ाई, रंग-बिरंगे कागज के फूलों की झालर को बनाने के साथ मोमबत्ती, खराब शीतलपेय बोतल से गुल्लक बनाने आदि का हुनर सिखाया गया। इसके अलावा सामग्री को बाजार में बिक्री कराने की प्रशिक्षण भी शिक्षकों ने दिया।
नगर क्षेत्र के इन विकास खंडों में हुई कवायद : महिलाओं को रोजगार दिखाने का कार्य सिकंदरपुरकर्ण, सिकंदरपुर सरोसी, असोहा, सुमेरपुर, गंजमुरादाबाद, फतेहपुर चौरासी, बीघापुर, बिछिया आदि विकास खंड में महिला शिक्षकों के समूहों ने की है।