मौसम की बेरुखी से किसान हो रहे बेचैन
जागरण संवाददाता उन्नाव मौसम की बेरुखी से किसान को अब अपनी फसल की सलामती की फिक्र हो रह
जागरण संवाददाता, उन्नाव : मौसम की बेरुखी से किसान को अब अपनी फसल की सलामती की फिक्र हो रही है। गेहूं जब तक कटकर घर नहीं पहुंचाएगा किसान की एक आंख खेत और हाथ दिल पर रहेगा। इस बार गेहूं की फसल के कमजोर होने की संभावना किसान जता रहे हैं। वहीं कृषि विभाग का कहना है कि दलहन, तिलहन, सरसों पर मौसम की मार का अधिक असर देखने को मिलेगा।
जिले में इस बार दो लाख 83 हजार 437 हेक्टेयर में रबी की फसल बोई गई है। दिसंबर व जनवरी में कोहरा नहीं पड़ा जिससे गेहूं की फसल की बाली नहीं बढ़ सकी। फसल का गेज चौड़ा न हो सका। कुछ ऐसा ही मटर का रहा। पाला पड़ा तो मटर को किसी तरह फल गई लेकिन चना पर संकट खड़ा हो गया। फरवरी में पानी करीब 8 एमएम बारिश हुई तो साथ ही ओले भी पड़े। इस कारण गेहूं की फसल को मदद मिली लेकिन सरसों, चना, अरहर, तोरई की फसल को नुकसान हुआ है। अब अगेती फसल के कटने में एक माह का समय बचा है वहीं पिछेती फसल को लिए थोड़ा समय है। अभी तो मौसम का मिजाज बदला है तो गेहूं के लिए तो कोई नुकसान नहीं है। अन्य का पर प्रभाव पड़ना तय है।
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एक नजर रबी फसल के आच्छादन पर
गेहूं - 2.48 लाख हेक्टेयर
जौ - 1435 हेक्टेयर
मटर - 1539 हेक्टेयर
मसूर - 1104 हेक्टेयर
राई - 17339 हेक्टेयर
तोरई - 9938 हेक्टेयर
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एस-29 और 67 बदलेंगे किसान की किस्मत
- जिले में इस बार किसानों ने गेहूं के नए बीज एस-29 व 67 की बोआई की है। जिससे उम्मीद है कि मौसम की बेरुखी के बाद भी फसल का उत्पादन बहुत अधिक प्रभावित नहीं होगा। असल में गेहूं की फसल को 6 पानी की जरूरत होती है। इस बीज की खासियत यह है कि दो पानी ठीक ठाक लग जाए तो फसल की पैदावार ठीक होगी।
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- दिसंबर में कोहरा न पड़ने से गेहूं की फसल पर प्रभाव पड़ा है। वहीं फरवरी में जो बारिश हुई वह अमृत सरीखी रही जिससे गेहूं के खेतों में नमी आ गयी और किसानों को सिचाई का अलग से प्रबंध नहीं करना पड़ेगा।
- अतींद्र सिंह, जिला कृषि अधिकारी