दुष्कर्म पीड़िता के चाचा ने कोर्टको किया गुमराह
जागरण संवाददाता, उन्नाव : बहुचर्चित माखी दुष्कर्म कांड की पीड़िता का चाचा 18 साल पुराने जानल
जागरण संवाददाता, उन्नाव :
बहुचर्चित माखी दुष्कर्म कांड की पीड़िता का चाचा 18 साल पुराने जानलेवा हमले के जिस मुकदमे में फरार था, सुनवाई के करीब 14 साल बाद उसके अदालती अभिलेखों में हेराफेरी पकड़ में आई है। अभिलेखों में पीड़िता के चाचा के नाम पर फ्लूड (सफेदा) लगाकर किसी और का नाम लिखा गया। आरोपित को अदालत और पुलिस की आंखों में धूल झोंकना भारी पड़ गया। दिल्ली से उसे गिरफ्तार कर पुलिस ने बुधवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया। न्यायाधीश आस्था श्रीवास्तव ने पीड़िता के चाचा को एक दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। गुरुवार को उसे अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट फर्स्ट में पेश किया जाना है। उधर, जिला जज ने अभिलेखों में हेराफेरी की जांच शुरू करा दी है।
वर्ष 2000 में पंचायत चुनाव के दौरान माखी गांव में गोली चली थी। तब दुष्कर्म कांड मेंआरोपित बांगरमऊ विधायक कुलदीप ¨सह सेंगर के छोटे भाई व पीड़िता के पिता की हत्या में नामजद जयदीप ¨सह उर्फ अतुल ¨सह ने जानलेवा हमला, जान से मारने की धमकी व गाली-गलौज करने का मुकदमा माखी थाने में दर्ज कराया था। दुष्कर्म पीड़िता के ताऊ, पिता और चाचा को आरोपित बनाया था। ताऊ और पिता न्यायालय से दोष मुक्त हो गए थे। मामले में सात जनवरी 2001 को जमानत कराने के बाद दुष्कर्म पीड़िता का चाचा फरार हो गया। उसके जमानतदारों शिवपाल ¨सह और प्रवीण को अदालत में 25-25 हजार रुपया जमा करना पड़ा था। पीड़िता के चाचा के फरार रहने पर विचारण के लिए उसकी पत्रावली अलग कर दी गई थी। 20 अक्टूबर 2004 को फास्ट ट्रैक कोर्ट तृतीय ने गिरफ्तारी और कुर्की के आदेश पर सुनवाई की। पुलिस ने रिपोर्ट दी कि कुर्की करने वाली कोई संपत्ति नहीं है। न्यायाधीश ने पीड़िता के चाचा को भगोड़ा घोषित कर स्थायी गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया।
विधिक सूत्रों और वकीलों के अनुसार कृष्णपाल ¨सह ने एक नवंबर को फास्ट ट्रैक कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया। इसमें पीड़िता के चाचा का स्थायी वारंट थाने में न होने से वारंट पुन: जारी करने को कहा। पांच नवंबर को माखी थाना के प्रभारी निरीक्षक दिनेशचंद्र मिश्र ने भी जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया, इसमें भी स्थायी वारंट न होने की बात कही। जिला जज ने सुनवाई के लिए अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम से मुकदमे की मूल पत्रावली तलब कर परीक्षण किया। पाया गया कि दुष्कर्म पीड़िता के चाचा के स्थान पर सफेदा लगाकर रमेश ¨सह का नाम हाथ से लिखा है। इस नाम का कोई आरोपित ही नहीं था। न्यायाधीश ने मूल पत्रावली के आदेश में सफेदा लगाने की पुष्टि की और 14 नवंबर को माखी के उपनिरीक्षक को पीड़िता के चाचा की गिरफ्तारी का निर्देश दिया।
सूत्रों के मुताबिक फ्लूड लगाने के मामले की न्यायिक जांच शुरू हो गई है। हालांकि अवकाश के कारण न्यायिक अधिकारियों से संपर्क न होने के कारण इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है।