उन्नाव कांड में सीबीआइ को मिले अहम सबूत, मां-चाची के पाक्सो के तहत बयान
हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट देने के बाद आज सीबीआइ टीम फिर पीडि़ता के परिवार से बात करने पहुंची। कुछ और अहम सबूत एकत्र किए।
उन्नाव (जेएनएन)। हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट देने के बाद आज सीबीआइ टीम फिर पीडि़ता के परिवार से बात करने पहुंची। कई घंटों तक तमाम बिंदुओं पर चली पूछताछ के दौरान पीडि़त किशोरी के चाचा ने सीबीआइ को माखी और उन्नाव पुलिस की मनमानी का हाल सुनाते हुए भाई की हत्या के दर्ज मुकदमे पर सवाल खड़े किए। उन्होंने पुलिस पर मनमर्जी से मुकदमा दर्ज करने का आरोप लगाया। पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार से जुड़े घटनाक्रम से वाकिफ कराने के साथ वह तहरीर भी सीबीआइ की दी जिसे वह तीन अप्रैल से लेकर घूम रहे हैं।
तहरीर पर नहीं बल्कि मनमाफिक मुकदमा
पूछताछ के दौरान पीडि़ता के चाचा ने बताया कि उसकी भाभी की तहरीर पर नहीं बल्कि पहले पुलिस ने मनमाफिक मुकदमा दर्ज किया। उसके बाद 10 अप्रैल को जो तहरीर दी गई उसमें नाम बढ़ाने का आश्वासन तो दिया लेकिन नाम नहीं बढ़ाया। पुरानी एफआइआर में अतुल सिंह का नाम शामिल कर उन्हें 11 तारीख को गिरफ्तार करने की कहानी बताते हुए फिर से ठंडे बस्ते में डाल दिया। इसके बाद से आज तक भाई की हत्या की साजिश में शामिल लोगों के नाम दर्ज नहीं किए गए। पीडि़ता के चाचा ने सीबीआइ को वह तहरीर सौंप दी जो उसकी भाभी ने घटना के बाद माखी पुलिस को और उसके बाद 10 अप्रैल को पति की मौत के बाद एसपी को सौंपी थी। सीबीआइ ने तहरीर को संज्ञान में लेकर उसे भी अपनी जांच में शामिल कर लिया।
पीडि़ता की मां-चाची के पॉक्सो कोर्ट में बयान
पीडि़त किशोरी के मामले में हाईकोर्ट के तेवर तल्ख होने के बाद सीबीआइ ने जांच प्रक्रिया को और धार दे दी है। एक दिन के विराम के बाद शुक्रवार को सीबीआइ की दो टीमें जिला मुख्यालय पहुंचीं। एक टीम ने पीडि़त परिवार से पूछताछ की तो दूसरी टीम ने पिछले वर्ष जून में दर्ज हुए मुकदमे में सभी गवाहों के नए सिरे से बयान दर्ज कराने की मांग पाक्सो कोर्ट में की। कोर्ट की मंजूरी के बाद शाम को पीडि़ता की मां व चाची ने बयान दर्ज कराए। सीबीआइ टीम ने पीडि़त परिवार से करीब चार घंटे तक जानकारी ली। पीडि़ता से घटना के बाबत एक बार फिर पूछताछ की। सीबीआइ की दूसरी टीम पाक्सो कोर्ट स्पेशल जज के यहां पहुंची। जहां टीम ने 11 जून, 2017 को दर्ज मुकदमे में सभी गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के यहां सीआरपीसी 164 व 167 के तहत दर्ज कराने की मांग की। स्पेशल जज राजेश उपाध्याय ने विशेष लोक अभियोजक पाक्सो कोर्ट चंद्रिका प्रसाद बाजपेयी और सीबीआइ के वकील की दलीलों को सुनने के बाद अर्जी मंजूर कर बयान दर्ज करने के आदेश दिए। इसी के बाद पीडि़त किशोरी की मां और चाची ने अदालत में बयान दर्ज कराए। बताते हैं कि अब सीबीआइ दोनों मामलों के सभी गवाहों का फिर से न्यायालय में ही बयान कराएगी।
पीडि़त किशोरी और चाचा को मिले गनर
पीडि़त किशोरी की सुरक्षा को लेकर उठ रहे सवाल को देखते हुए शासन ने सुध ली है। शुक्रवार रात किशोरी और उसके साथ हुई घटना की पैरवी कर रहे चाचा को एक-एक गनर उपलब्ध करा दिया गया। हालांकि परिवार की सुरक्षा के लिए लगाए गए अतिरिक्त पुलिस बल को अब भी कुछ समय के लिए वहीं पर रखा गया है। प्रशासन द्वारा गुरुवार को जो दो गनर उपलब्ध कराए हैं उनको लेकर पीडि़ता के चाचा ने कहा कि वह कारोबार के सिलसिले में दिल्ली में रहते हैं। जो गनर हैं उन्होंने अभी खुद जिले की सीमा निर्धारित होना बताया जबकि मामले की पैरवी के लिए ही उन्हें लखनऊ और इलाहाबाद तक भाग दौड़ करनी पड़ रही है। इससे बिना उनके सीमा क्षेत्र को बढ़ाए यह सुरक्षा मायने नहीं रखती है।
पीडि़ता के वकील को भी सीबीआइ ने बुलाया
पीडि़त किशोरी से शुक्रवार को बयान लेने के बाद सीबीआइ ने उसके पक्ष के अन्य लोगों के बयान भी लिए। इसके तहत शुक्रवार को सीबीआइ के एसपी राघवेंद्र वत्स ने पीडि़ता के वकील को भी बातचीत के लिए सिंचाई निरीक्षण भवन में बुलाया। वह काफी समय तक उनका इंतजार करते रहे लेकिन, अधिवक्ता की व्यस्तता के कारण उनका बयान नहीं हो सका। इससे माना जा रहा है कि अगले एक दो दिनों में सीबीआइ वकील से भी बातचीत कर उनका पक्ष ले लेगी। सीबीआइ की टीम अब अगले दस दिनों तक उन्नाव में ही डेरा डालेगी। बताते हैं कि प्रशासन से आवास के लिए बंदोबस्त करने को कहा है। टीम को नवाबगंज पक्षी विहार स्थित पर्यटन विभाग के गेस्ट हाउस में ठहराया जा सकता है। हालांकि देर शाम तक किसी अधिकारी ने इसकी पुष्टि नहीं की।