अनुमति स्थल में 500 मीटर छोड़कर किया जाएगा बालू खनन
जागरण संवाददाता उन्नाव सदर तहसील के परियर में 104 बीघे बालू खनन की अनुमति के पट्टे पर ह
जागरण संवाददाता, उन्नाव : सदर तहसील के परियर में 104 बीघे बालू खनन की अनुमति के पट्टे पर हैवी मशीनों को जायज और खनन के कारण यहां के तीर्थ पुरोहितों की परेशानी को लेकर जागरण में प्रकाशित खबर का प्रशासन ने ठीक दूसरे दिन संज्ञान लिया है। डीएम रवींद्र कुमार के निर्देश पर शुक्रवार को मौके पर पहुंची सिटी मजिस्ट्रेट ने यहां चल रहे खनन का जायजा लिया। जिसके बाद पंडित व तीर्थ पुरोहितों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं जानी। सिटी मजिस्ट्रेट ने बताया कि उनकी समस्या जायज है। इसलिए अनुमति स्थल में ही 500 मीटर भूमि चिह्नित कर खनन से मुक्त की जाएगी और पंडित पुरोहितों सहित गंगा स्नानार्थियों की सहूलियत को प्राथमिकता दी जाएगी। नगर मजिस्ट्रेट विजेता के मौके पर पहुंचने के बाद पंडित पुरोहितों ने बताया कि खनन की अनुमति वाले स्थल में ही गंगा तट आ रहा है। जहां हजारों श्रद्धालु गंगा स्नान करते हैं। वहीं यहां तिथि व परंपरा के अनुसार समय-समय पर मेला आदि का आयोजन होता है। त्रेतायुगीन साक्ष्य संजोए परियर में जरा सी अनदेखी पर न सिर्फ पहचान को खतरा है बल्कि देश के करोड़ों जनमानस की आस्था का भी सवाल है। पुरोहितों ने बताया कि दिन-रात खनन के कारण अब स्नान घाट पर गहरी खाई हो चुकी हैं। इसलिए यहां नहाने के मतलब है कि जान से खिलवाड़। नगर मजिस्ट्रेट ने गंभीरता से बात सुनकर साथ आए तहसील अधिकारियों को निर्देश दिए। सिटी मजिस्ट्रेट ने बताया कि मौका स्थिति देखकर एक टीम बनाई जा रही है। बताया कि टीम में एसडीएम, खान अधिकारी सहित तहसीलदार भी शामिल हैं। जो यहां बिठूर पुल से गंगा तट की ओर 500 मीटर भूमि की पैमाईश करके चिन्हांकन करेंगे। इस चिन्हांकन के बाद पट्टाधारक खननकर्ता को संबंधित स्थल को छोड़कर ही खनन करना होगा। वहीं पोकलैंड व ड्रोजर आदि मशीनों के गंगा की धारा से किए जा रहे खनन के प्रश्न पर नगर मजिस्ट्रेट ने कहा कि सेमी आटोमैटिक मशीनों की खनन में प्रयोग की अनुमति है।
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स्नान घाट तक की बेच डाली बालू
- अनुमति मिलने के बाद खननकर्ता ने सारे नियमों को ताख पर रखकर दिन रात पोकलैंड व बुल्डोजर मशीनों से गंगा तट व स्नान घाट तक को खोदकर बालू बेच डाली है। जिसके बाद यहां जान के खतरे का अंदेशा 24 घंटे बना रहता है।
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चिल्लाते रहे थे तीर्थ पुरोहित, होती रही अनसुनी
- तीर्थपुरोहितों द्वारा लगातार चल रहे इस खनन का विरोध शुरुआत से किया जाता रहा। हालांकि नेताओं, विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते खननकर्ताओं द्वारा बेखौफ तरीके से गंगा तट भी खोद डाला गया है।