कानपुर-लखनऊ के बीच नॉन इंटरलॉकिंग का काम पूरा, अब नहीं ठिठकेंगी ट्रेनें
कानपुर-लखनऊ रेल मार्ग पर रविवार को एक और बाधा दूर कर ली गई। सोनिक में अब ट्रेनें सिग्नल के इंतजार मेंं आउटर पर नहीं रुकेंगी।
उन्नाव (जेएनएन)। कानपुर-लखनऊ रेल मार्ग पर रविवार को एक और बाधा दूर कर ली गई। सोनिक में अब ट्रेनें सिग्नल के इंतजार मेंं आउटर पर नहीं रुकेंगी। सिग्नल प्रणाली बेहतर करने के लिए स्टेशन पर नॉन इंटरलॉकिंग (एनआइ) का कार्य पूरा कर लिया गया। ट्रैक पर सुबह आठ बजे से कार्य शुरू हुआ। शाम 7:55 बजे तक स्वर्ण शताब्दी सहित कई सुपरफास्ट व एक्सप्रेस ट्रेनें प्रभावित हुईं। मेगा ब्लाक लगने के तहत 26 ट्रेनों का परिचालन पहले ही रद कर दिया गया था।
इससे पहले सिग्नल एंड टेलीकॉम (एसएनटी) के अधिकारियों ने एनआइ का 65 फीसद कार्य शनिवार को ही समेट दिया था। ट्रैक के हिस्से में बचा कार्य अंतिम दिन एडीआरएम काजी मेराज अहमद की मौजूदगी में सीनियर सेक्शन इंजीनियर विकास कुमार ने पूरा किया। परिचालन और इंजीनियङ्क्षरग अनुभाग के अधिकारियों ने अपने-अपने हिस्से के कार्य को जांचा। सिग्नल की बदली व्यवस्था को एसएनटी के अधिकारी ने जांचा।
साढ़े 16 घंटे का ट्रैफिक ब्लाक
कानपुर-लखनऊ रूट पर ट्रेनों के पहिए सुबह 7:20 बजे से थमना शुरू हो गए थे। एक घंटे का ब्लाक यार्ड लाइन में लिया गया। अप लाइन पर सुबह 8:20 से डेढ़ घंटे ब्लाक रहा। डाउन लाइन में नौ से 10:30 बजे तक ट्रेनें रोकी गईं। टीआरडी और एसएनटी ने अप और डाउन लाइन में दोपहर 12 से शाम चार बजे तक ब्लाक लिया। अंतिम ब्लाक शाम 4:25 से 7:55 बजे तक रहा। पूरे दिन करीब साढ़े 16 घंटे का ब्लाक रहा।
ट्रेनों को मिलेगी रफ्तार
हाईटेक सिग्नलिंग से ट्रेनों का परिचालन स्टेशन मास्टर के हाथ होगा। लोको पायलट या गार्ड को आटोमेटिक सिग्नल ट्रेन के होम सिग्नल में आते ही मिल जाएगा। अभी तक सोनिक केबिन से प्वाइंट की मदद से सिग्नल रेड या ग्रीन दिया जाता था। मैनुअल व्यवस्था से ट्रेनों को आउटर पर रोकना पड़ जाता था। अब ट्रेनों को रफ्तार बरकरार रहेगी।
प्रभावित ट्रेनें
नई दिल्ली-लखनऊ स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस, पुणे-गोरखपुर एक्सप्रेस, गोमती, राप्ती सागर, जयपुर एक्सप्रेस, चित्रकूट एक्सप्रेस, लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस को ब्लाक के चलते रोका गया। लखनऊ-झांसी पैसेंजर व इंटरसिटी, आगरा कैंट-लखनऊ इंटरसिटी एक्सप्रेस, प्रतापगढ़-कानपुर, फैजाबाद-कानपुर इंटरसिटी सहित 26 ट्रेनें निरस्त रहीं। इनमें ज्यादातर एलकेएम ट्रेनें शामिल थीं।