ढही दीवारों का मलबा गायब, सोकपिट का लिया नमूना
यूपीपीसीएल द्वारा कराए गए दूसरे बेमानक काम की जांच के लिए गठित की गई तीसरी टीम को मौके पर वह मलबा नहीं मिला। जिसमें यह साबित हो पाए कि काम मानकनुसार था अथवा बेमानक। निर्माणाधीन पुरवा बालिका छात्रावास में सेप्टिक टैंक की गिरीं तीन दीवारों के काम में मानकों की जांच को मंगलवार को यह टीम मौके पर गई थी।
जागरण संवाददता, उन्नाव : यूपीपीसीएल द्वारा कराए गए दूसरे मानक विहीन काम की जांच के लिए गठित की गई तीसरी टीम को मौके पर वह मलबा नहीं मिला। जिससे साबित हो पाए कि काम मानक अनुरूप था या नहीं। निर्माणाधीन पुरवा बालिका छात्रावास में सेप्टिक टैंक की गिरीं तीन दीवारों के काम में मानकों की जांच के लिए मंगलवार को प्रशासन की लीपापोती के बाद मौके पर गई टीम को मौके पर साक्ष्य ही नहीं मिले। ऐसे में सीवर टैंक के पास बनाए गए सोकपिट से नमूने लिए गए। सोक पिट के सैंपल लेकर टीम ने सील कर दिया है। टीम के तीनों सदस्यों ने अपने हस्ताक्षरयुक्त पेपर भी साथ ही भेजे हैं। टीम ने सैंपल जांच के लिए लोक निर्माण विभाग लखनऊ की लैब भेजे की जानकारी देकर वहां से रिपोर्ट आने पर ही कुछ साफ हो पाने की बात कही।
170.15 लाख रुपये के पुरवा बालिका छात्रावास में सीवर टैंक की तीन दीवारें गिरने के बाद इसकी जांच कई किश्तों में कराई जा रही है। औरास के अदौरा के बाद पुरवा में अधोमानक मिले बालिका छात्रावास की जांच में पहले तिकड़म लगाया जाता रहा। इसके पहले दो बार जब जांच कराई गई तो घटिया निर्माण साबित होने के बाद डीएम के आदेश पर एजेंसी पर मुकदमा भी नहीं दर्ज कराया गया। मुकदमे की कार्रवाई को शिथिल करने के लिए डीएम ने अपने ही आदेश को तीसरी जांच की ओर मोड़ दिया था। डीएम ने इस कदम के पीछे अपनी और सीडीओ की जांच टीमों की रिपोर्ट में समानता न पाए जाने पर यह निर्णय लिए जाने की जानकारी दी थी। कहा था कि पुरवा छात्रावास की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय जांच और कराएंगे। अब मौके पर गई जांच टीम को मानक विहीन काम के कारण गिरी तीन दीवारों का मलबा ही नहीं मिला।
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पहुंचने में देरी या 'पाप' साफ करने की मोहलत
- डीएम ने डीआईओएस राकेश कुमार, लोक निर्माण विभाग के प्रांतीय खण्ड अधिशाषी अभियंता व सिचाई विभाग के शारदा खण्ड से मामले की एक बार फिर जांच कराने के लिए 7 सितंबर को आदेश जारी किया था। टीम गठन के साथ ही जांच के लिए न तो कोई दिन तय किया था और न ही समय। ऐसे मे टीम पूरे 11 दिन बाद मौके पर गई। इस दौरान कार्यदायी संस्था को मौके से वह मलबा साफ करने का समय दिया गया।