डायरिया से बालिका की मौत, सात बुखार पीड़ित भर्ती
जागरण संवाददाता उन्नाव संक्रामक रोगों का ग्राफ धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। जिला अस्पताल
जागरण संवाददाता, उन्नाव : संक्रामक रोगों का ग्राफ धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। जिला अस्पताल में ओपीडी से इमरजेंसी तक बुखार के मरीज पहुंच रहे हैं। शुक्रवार को जिला अस्पताल में 53 बुखार पीड़ित मरीज पहुंचे। जिनमें चार बच्चों समेत सात गंभीर बुखार पीड़ित मरीजों को भर्ती किया गया है। जबकि, डायरिया और सांस लेने में परेशानी के कारण सफीपुर से रेफर होकर जिला अस्पताल आई तीन वर्षीय बालिका की इमरजेंसी में मौत हो गई।
शुक्रवार को भी जिला अस्पताल में बुखार के मरीजों की लंबी लाइन देखने को मिली। ओपीडी से लेकर इमरजेंसी तक आने वाले मरीजों मे अधिकांश बुखार, खांसी, जुकाम व डायरिया के ही रहे। बुखार के सात मरीज जिला अस्पताल में भर्ती किए गए, जिनमें चार बच्चे भी शामिल हैं। सफीपुर के गांव न्यामतपुर निवासी रामकिशोर की तीन वर्षीय बेटी शिवानी को उल्टी-दस्त होने के साथ सांस लेने में परेशानी पर स्वजन सफीपुर सीएचसी ले गए हालत गंभीर देख उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। यहां जिला अस्पताल में कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई। अनंतू अकरमपुर, अदिति यादव सिविल लाइन, प्रार्थना निगम जगन्नाथगंज, उमा ओरहर समेत तेज बुखार से पीड़ित सात मरीज जिला अस्पताल में भर्ती किए हैं। इसके अलावा डायरिया, जुकाम, खांसी के 13 मरीज भर्ती हैं। सीएमएस डा. पवन कुमार ने वार्ड का निरीक्षण कर डेंगू पीड़ितों से दवा उपचार की जानकारी ली। सीएमएस डा. पवन कुमार ने बताया कि 1190 मरीजों ने पर्चा बनवाया। जिनमें बुखार के 53 मरीज शामिल रहे। इसके साथ ही टाइफाइड के सात मरीज मिले।
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डेंगू पीड़ित एक मरीज कानपुर रेफर
- कालीमिट्टी पुलिस ट्रेनिग सेंटर और बीघापुर क्षेत्र में डेंगू पाजिटिव मिले दोनों मरीजों को जिला अस्पताल के डेंगू वार्ड में भर्ती कराया गया। इनमें बीघापुर के डेंगू पाजिटिव मरीज की हालत गंभीर होने पर जिला अस्पताल से कानपुर एलएलआर रेफर कर दिया गया। जबकि, पीटीएस कर्मचारी को जिला अस्पताल में उपचार चल रहा है।
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मैता में 22 और बुखार पीड़ित मिले
- स्वास्थ्य विभाग ने कैंप लगाकर बुखार पीड़ितों को दी दवाई ब्लाक बिछिया के गांव मैता में शुक्रवार को बिछिया सीएचसी से पहुंची डाक्टरों की टीम ने बुखार पीड़ित मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण किया। गांव में आशा बहू के दरवाजे पर कैंप लगा 22 बुखार पीड़ितों की मलेरिया जांच कराई और उन्हें दवा दी। सार्वजनिक स्थान पर कैंप न लगाने से ग्रामीणों में रोष रहा।