शिक्षा)) शिक्षकों का संबद्धीकरण हुआ तो सीडीओ होंगे जिम्मेदार
स्थानीय अफसरों कीमें अब किसी भी शि
जागरण संवाददाता, उन्नाव : स्थानीय अफसरों की कृपा से संबद्धीकरण के जरिए मनमाफिक स्कूल पाने की कोशिशें अब पूरी होना मुश्किल होगा। मूल विद्यालय के बजाय अन्य किसी विद्यालय या फिर कार्यालय में शिक्षण या फिर शिक्षणेत्तर कार्य के लिए संबद्ध किए जाने के खेल पर शासन द्वारा पहरा लगा दिया गया। आरटीई (राइट टू एजूकेशन) यानी शिक्षा के अधिकार के मानकों के अनुरूप परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती न हो पाने के विपरीत शिक्षकों के मनमाने संबद्धीकरण मामले में अब सीडीओ को जिम्मेदार बनाया गया है। जिले में अब किसी भी शिक्षक या फिर शिक्षणेत्तर कर्मी का संबद्धीकरण पाया जाता है तो सीडीओ से जवाब तलब किया जाएगा।
शासन से इस आदेश के बाद भी जिले में इसका प्रभाव निल है। ऐसा कोई पहली बार नही है कि शासन शिक्षक संबद्धीकरण के निरस्तीकरण को लेकर कोई भी लिखित आदेश दे। जिला बेसिक शिक्षा विभाग उससे तवज्जो ही नहीं रखता है। शासन के दो आदेशों की अह्वेलना इसका उदाहरण है। जिसमें 12 अक्तूबर 2018 को सचिव बेसिक शिक्षा श्रीमती रूबी सिंह ने परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों का अन्य कार्यालयों में संबद्धीकरण न किए जाने के आदेश दिए थे। सचिव ने कहा था कि शासन के आदेशों के मुताबिक किसी भी कर्मचारी का संबद्धीकरण उसकी मूल तैनाती से भिन्न स्थान अथवा कार्यालय में नहीं किया जा सकता है। इसलिए किसी भी दशा में किसी भी शिक्षक का संबद्धीकरण उसके मूल विद्यालय के अलावा न कहीं न किया जाए। ऐसा किए जाने पर सचिव ने जिले के जिम्मेदारों को स्वयं उत्तरदायी बनाया था। वहीं चार नवंबर 2019 को रेणुका कुमार, अपर मुख्य सचिव उप्र शासन ने शिक्षा निदेशक बेसिक के माध्यम से जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को अवगत कराया। कहा कि बीएसए व बीआरसी सहित अन्य शिक्षा कार्यालयों मे संबद्ध शिक्षकों को उनके मूल तैनाती वाले विद्यालयों मे तत्काल भेजा जाए। कहा था कि विद्यालयों में तैनात अध्यापकों को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सहित अन्यत्र सम्बद्ध कर उनसे शैक्षणिक के बजाए अन्य लिपिकीय कार्य लिये जा रहे है।
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समायोजन नीति का भी नहीं करते आदर
अपर मुख्य सचिव ने अपने पत्र में शिक्षकों की समायोजन नीति का अनादर किए जाने की बात भी शिक्षाधिकारियों से कही है। समायोजन शिक्षक-छात्र अनुपात को पूरा करने व नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार नियमावली 2011 को अमल में लाने के लिए किया जाता है। जिससे बेसिक शिक्षा की गुणवत्ता बनी रहती है।
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एक ओर आदेश तो दूसरी ओर जस का तस संबद्धीकरण
शासन के निर्देशों का कागजी कोरम पूरा करते हुए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने शिक्षकों का संबद्धीकरण वापस करते हुए उनको मूल विद्यालय में भेजने के निर्देश तो दिए। लेकिन इन पर धरातलीय अमल नहीं किया गया। बीएसए की ओर से 25 अक्तूबर और 5 नवंबर को संबद्धीकरण निरस्तीकरण के आदेश दिए गए हैं। इसके बावजूद संबद्धीकरण की स्थिति जस की तस है।
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तो बंद हो जाएगी अंडर टेबल कमाई
जिला बेसिक शिक्षा विभाग में संबद्धीकरण की प्रक्रिया अंडर टेबल कमाई के खेल के रूप में सभी नियमों को धता बताकर जारी रखी जाती है। वह चाहे बीएसए कार्यालय हो, बीआरसी अथवा नगर शिक्षाधिकारी का कार्यालय। हर जगह शिक्षकों से मनमर्जी वसूली के बदले संबद्धीकरण का लाभ दे दिया जाता है। ऐसे अधिकांश मामले हैं। जहां शिक्षकों को स्कूल भी नहीं जाना पड़ता है और इन कार्यालयों अथवा अन्य किसी स्कूल में अटैच किए जाने के नाम पर मुंहमांगी कमाई की जाती है। यही कारण है कि बीएसए से लेकर खंड शिक्षा अधिकारियों तक शासन के नियम को धता बता रहे हैं। जिस पर सीडीओ की निगहा होने के बाद इस खेल में बाधा पड़ सकती है।
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शासन से आदेशों के बाद शिक्षक संबद्धीकरण पर विशेष काम किया जाएगा। शासन के नियमों के प्रतिकूल कोई भी कार्रवाई यहां के जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई का आधार बनेगी। फिलहाल संबद्धीकरण में सीधे निगरानी के निर्देशों को लेकर अधिक जानकारी नही है। पता करता हूं।
- डॉ. राजेश कुमार प्रजापति, सीडीओ