आई बारिश, बूंद-बूंद को सहेजने की बारी
-पोखरे और तालाब में ही हो पाता है वर्षा जल संग्रह
सुलतानपुर: बारिश शुरू हो गई है। भू जलस्तर बढ़ाने के लिए अब बूंद-बूंद को सहेजने की जरूरत है। ऐसे में आम नागरिक हों या सरकारी विभाग हर जगह बरसा जल को संरक्षित करने के उपायों को अमल में लाने से ही जल संरक्षण की दिशा में बेहतर काम किए जा सकता है। यह सीख जहां पर्यावरणविद दे रहे हैं, सोशल मीडिया के जरिए एक-दूसरे को पैगाम पहुंचाए जा रहे हैं वहीं विभागों में खराब पड़े जल संचय उपकरणों को भी ठीक कराने के लिए जिम्मेदारों को सजग होना पड़ेगा।
जिले में वर्षा जल को संग्रहित करने के प्राकृतिक स्त्रोत बेहद कम हैं। नौ झीलें तथा कुछ बड़े पोखरों से ही वर्षा जल संग्रह की कवायद की जाती है। मनरेगा की सक्रियता के बाद तकरीबन तीन सौ तालाब इस वर्ष तैयार किए गए हैं, जिनमें वर्षा जल संचित हो सकेगा। निजी क्षेत्रों में कुछ जगहों पर जागरूकता के चलते बारिश के पानी को संचित करने का उपकरण लगाया गया है, लेकिन यह बड़े पैमाने पर नहीं हो रहा है।
-चिराग तले अंधेरा
निजी भवनों की बात तो दूर जिला मुख्यालय के सरकारी भवनों तक में वर्षा जल संचयन की व्यवस्था नहीं की गई है। पांच सौ से एक हजार वर्ग फीट तक के भवन जिला अस्पताल, कलेक्ट्रेट, नगर पालिका, विकास भवन, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य शाखा सहित अन्य छोटे-बड़े कार्यालयों में वर्षा जल संचयन की व्यवस्था नहीं है जहां है भी वहां यह निष्क्रिय हैं।
-विशेष योजना भी भटकी राह
भू जलस्तर को बचाने और वर्षा जल संचित करने के लिए जिले में बीते दो वर्षों से समेकित जल संचयन योजना आईडब्ल्यूएमइ के तहत वर्षा जल संग्रह के लिए कार्ययोजना बनाई गई है। कई विभागों के समन्वय से जीर्णशीर्ण हो चुके जलसंचय के स्त्रोतों को सहेजने और वर्षा जल संचय को बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है, लेकिन यह सब फाइलों में सिमटा है।
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सरकारी भवनों में लगे वर्षा जल संग्रह के संयंत्रों को दुरुस्त कराया जाएगा। ब्लॉक स्तरीय कार्यालयों को भी निर्देश दिया गया है कि वर्षा जल संचय का उपाय करें।
रमेश प्रसाद मिश्र, सीडीओ