तीन वर्ष से आवास पाने की राह देख रहे शहरी निर्धन
सुलतानपुर: शहर के गरीबों को छत मुहैया कराने की प्रधानमंत्री आवास योजना साकार नहीं हो सकी है। जिला मु
सुलतानपुर: शहर के गरीबों को छत मुहैया कराने की प्रधानमंत्री आवास योजना साकार नहीं हो सकी है। जिला मुख्यालय समेत तीन नगर पंचायतों में 566 पात्रों का चयन आवास आवंटन के लिए हुआ है। आवेदन व चयन प्रक्रिया वित्तीय वर्ष 2016-17 में पूरी की गई। लगभग तीन वर्ष होने के बाद भी किसी आवेदक को आवास नहीं मिल सका है। तमाम कवायदों के बाद भी पात्रता के लिए चयनित 566 लोगों में मात्र 208 लोगों को अब तक अनुदान की सिर्फ दो किश्तों का भुगतान हुआ है।
जिले में 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी लागू हुई। सरकार ने गरीब की इस कल्पना को वास्तविकता में बदलने के लिए महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी को राज्य का नगरीय विकास अभिकरण (सूडा) के जरिए लागू किया है। सूडा की स्थानीय इकाई जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) को शहरी गरीबों को पक्का आवास देने की जिम्मेदारी दी गई है। तीन लाख वार्षिक आय की सीमा तक के नगर परिषद एवं नगर पंचायत क्षेत्रों में निवास करने वालों को भूखंड की उपलब्धता एवं अन्य शर्तें पूरी करने के बाद आवास आवंटन के लिए पात्र माना जाता है। जिला मुख्यालय के नगर परिषद क्षेत्र में 66,नगर पंचायत दोस्तपुर में 123, कोइरीपुर में 26 और कादीपुर में 351 मकान बनने हैं। डूडा ने लाभार्थी आधारित व्यक्तिगत आवास निर्माण घटक के तहत आवासों को बनाने की जिम्मेदारी ली है। पात्रता के लिए शहरी क्षेत्र में 30 वर्ग मीटर का भूखंड और कहीं भी पक्का आवास नहीं होना चाहिए योजना के तहत लाभार्थी को ढाई लाख रुपये तीन किश्तों में दिया जाना है। दुरुह औपचारिकता और कठिन शर्तों को पूरा करने की प्रक्रिया में विभाग की उदासीनता आवेदकों पर भारी पड़ रही है। ऐसे हालात के चलते 566 लोगों में सिर्फ 36 प्रतिशत लोगों को ही डूडा अब तक आंशिक अनुदान दे सका है। इन स्थितियों के बाबत डूडा के जिला प्रबंधक विमल मिश्रा ने स्वीकार किया कि आवास निर्माण की चरणबद्ध नियमावली को पूरा करने और उनके सत्यापन में कुछ अधिक समय लग गया।
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