लाखों खर्च कर खोदी ड्रेन पर अब मनरेगा से दोबारा खोदाई
प्रधान ने कहा सिचाई विभाग ने की थी खानापूर्ति अब हो रहा काम बाढ़ से बचाने व सिचाई के लिए पांच दशक पहले हुआ था ड्रेन का निर्माण
शिवशंकर पांडेय, सुलतानपुर: सरकारी धन का दुरुपयोग किस तरह होता है, इसकी बानगी देखनी हो तो बेलासदा गांव से गुजरी ड्रेन को लिया जा सकता है। सात गांवों को जोड़ने वाले दस किलोमीटर लंबी इस ड्रेन की खोदाई व सफाई नहर विभाग ने छह माह पहले लाखों रुपये खर्च कर कराई गई थी। अब उसी ड्रेन की सफाई न होने का आरोप मढ़कर ग्राम प्रधान मनरेगा से दोबारा खोदाई कर भुगतान की तैयारी में है।
गोमती नदी के किनारे बसे गांवों को बाढ़ से बचाने व सूखे की स्थिति में खेतों की सिचाई के लिए पांच दशक पहले शासन द्वारा 12 फीट चौड़ी व 10 किलोमीटर लंबाई की पखरौली ड्रेन बनाई थी। यह ड्रेन शंकरपुर से होकर पखरौली, फतेपुर, रामपुर, हनुमानगंज, सूदापुर, मिश्रपुर व पुरैना गांव के झील नुमा तालाब को जोड़ती है।
नहर विभाग द्वारा मार्च में करीब साढ़े सात लाख खर्च कर खोदाई कराई। इसका भुगतान भी कर दिया। दस दिन पहले पखरौली ग्राम पंचायत के प्रधान ने करीब तीस मनरेगा मजदूरों को फतेपुर के पास काम लगाकर ड्रेन की फिर से सफाई व खोदाई कराई है। गांव के ही जनेश्वर उपाध्याय, कुंवर, रामकिशुन, तीर्थराज, बहादुर, नीलेश तथा अरविद कुमार ने अधिकारियों से इसकी शिकायत की है।
बिना स्वीकृति ग्राम पंचायत नहीं करा सकती सफाई
ड्रेनों की सफाई सिचाई खंड द्वारा टेंडर कर कराई जाती है। ब्लाक स्तरीय ड्रेन को क्षेत्र पंचायत द्वारा साफ किया जाता है। सिचाई खंड की ड्रेन तथा माइनरों व अल्पिकाओं को यदि ग्राम पंचायत मनरेगा द्वारा साफ-सफाई कराती है तो सिचाई विभाग के अधिकारी या फिर संबंधित नहर समितियों के द्वारा स्वीकृति लेनी होती है। यह प्रक्रिया यहां नहीं अपनाई गई है।
पंचायत व सिचाई खंड आमने-सामने:
नहर विभाग खंड-49 के सहायक अभियंता नीतीश चित्रांश ने बताया कि पखरौली ड्रेन की सफाई इसी वर्ष मार्च में कराई गई है। दोबारा सफाई की स्वीकृति नहीं ली गई है। मौके पर अवर अभियंता मुकेश कुमार को भेजकर कार्रवाई की जा रही है। वहीं, पखरौली प्रधान विष्णु शंकर ने बताया कि ड्रेन की सफाई के नाम पर खानापूर्ति की गई थी। अब मनरेगा मजदूरों द्वारा इसको ठीक से साफ कराया जा रहा है।