दुख-दर्द भुलाकर निभाई वोट देने की जिम्मेदारी
सुलतानपुर :लोकतंत्र के महापर्व में गजब का उत्साह देखने को मिला। बीमार-लाचार लोगों ने अपना दुख-दर्द भ
सुलतानपुर :लोकतंत्र के महापर्व में गजब का उत्साह देखने को मिला। बीमार-लाचार लोगों ने अपना दुख-दर्द भुलाकर वोट देने की जिम्मेदारी निभाई। जिनके हाथ-पांव में प्लास्टर बंधे थे, वे भी पूरे जोश के साथ मतदान करने पहुंचे।
अमहट निवासी सरीफुल निशा पत्नी मन्नान का गत दिनों हादसे में दाहिना पैर टूट गया था। उनके पैर में प्लास्टर बांधा गया है। चिकित्सक ने उन्हें चलने से मना किया है, मगर रविवार को जब घर की महिलाएं वोट देने के लिए बूथ पर जाने लगीं तो वे खुद को राक न सकीं। परिवारजन के मना करने के बावजूद सरीफुल लोकतंत्र के उत्सव में शामिल होने निकल पड़ीं। इस जज्बे को देखकर घर की महिलाओं ने उन्हें सहारा दिया और करीब तीन सौ मीटर दूर स्थित मतदेय स्थल तक ले गईं। वोट देने के बाद उनके चेहरे पर जो सुकून झलक रहा था, वह देखने लायक था। गभड़िया निवासी चांदबाबू सब्जी विक्रेता हैं। गत दिनों वह चौक इलाके में फुटपाथ पर ठेला लगाकर सब्जी बेच रहे थे। इसी बीच एक प्रत्याशी का काफिला वहां से गुजर रहा था। उन्होंने बताया कि एक सिपाही ने जोर से डंडा मार दिया, जिससे उनके बाएं हाथ में फ्रैक्चर हो गया। बकौल चांदबाबू चोट ताजी है, इसलिए अभी भी दर्द हो रहा है, लेकिन वोट देना भी जरूरी था। लिहाजा अपनी पीड़ा को दरकिनार कर वह मतदान करने पहुंच गए।
इसी तरह से गोराबारिक निवासी बुजुर्ग रमजान व अली अकरम ने भी बीमार होने के बावजूद लोकतंत्र को मजबूती देने के लिए अपना वोट डाला।
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