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कभी थी चीनी मिल, अब गोशाला..

चुनावों में नेता देते हैं मिल संचालन का आश्वासन बाद में नहीं लेते सुध

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 10:16 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 10:16 PM (IST)
कभी थी चीनी मिल, अब गोशाला..
कभी थी चीनी मिल, अब गोशाला..

रमाकांत बरनवाल, सुलतानपुर: पांच दशक पूर्व तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने क्षेत्रवासियों को चीनी मिल की सौगात दी थी। किसान गन्ने की अच्छी पैदावार कर मुनाफा कमाने लगे। सैकड़ों युवाओं को रोजगार भी मिला। सब कुछ ठीकठाक चल रहा था कि अचानक मिल का पहिया ठप हुआ तो दोबारा नहीं चल सका।

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किसानों ने खूब हंगामा किया और मुद्दा सड़क से लेकर सदन तक में गूंजा। इसके बावजूद मिल नहीं चल सकी। धीरे-धीरे यह स्थल वीरान होता चला गया। कल-पुर्जे से लेकर खिड़की-दरवाजे तक चोरी हो गए। अब यहां गोशाला संचालित की जा रही है। क्षेत्र के लोगों को अब भी इंतजार है कि कोई रहनुमा आएगा और मिल के विषय में जरूर सोचेगा।

सभी दलों की बनी सरकार, किसी ने नहीं ली सुध:

चीनी मिल बंद होने के बाद से प्रमुख दलों सपा, बसपा व भाजपा की सरकार बनी। चुनाव के समय सभी ने इसके संचालन की बात कही, लेकिन बाद में किसी ने इसकी सुध नहीं ली।

गन्ने की खेती से मोह भंग, युवा बेरोजगार:

जिले में इस क्षेत्र को गन्ने की पैदावार के लिए बड़ा बेल्ट माना जाता था। मिल बंद हुई तो किसानों का गन्ने की के खेती से मोह भंग हो गया। गिने-चुने किसान ही अब इसकी खेती करते हैं। उपज बेचने के लिए अयोध्या या फिर जिला मुख्यालय तक दौड़ लगानी पड़ती है। वहीं, मिल बंद होने से सैकड़ों युवा बेरोजगार हो गए।

चोरों ने साफ किया हाथ:

चीनी मिल बंद होने का फायदा चोरों ने उठाया। चहारदीवारी तोड़ ईट, लोहे व अन्य कीमती सामान उठा ले गए। मिल के कलपुर्जे तक गायब हो गए। अब तो स्थिति यह हो गई है कि भूखंड पर भी अवैध कब्जा होना शुरू हो गया है।

बेसहारा गोवंशों का ठिकाना:

नगर पंचायत ने टूटी चहारदीवारी के स्थान पर बांस-बल्ली के बेड़े लगा परिसर में बेसहारा गोवंशों को संरक्षित करने का काम शुरू कर दिया है। उसका मानना है कि इससे अवैध कब्जेदारी तो रुकेगी ही, साथ ही सामान भी सुरक्षित रहेगा।

बोले किसान:

उड़ुरी गांव के गन्ना किसान रामशब्द यादव, शिवराम मौर्य, राजाराम यादव व अमरजीत यादव आदि कहते हैं कि चीनी मिल बंद होने से हम सभी को अयोध्या जिले की मसौधा व जिला मुख्यालय पर लगी मिल तक जाना पड़ता है। इससे समय व धन नाजायज खर्च होता है। इस बार भी चुनाव में चीनी मिल शुरू करने का मुद्दा उठाएंगे।


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