तंत्र के गण: सद्भाव-समरसता की मिसाल हैं करतार
.मेरा पैगाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे पंक्तियों से प्रेरित हो छह दशक से कर रहे समाजसेवा
गोपाल पांडेय, सुलतानपुर: दूसरों की पीड़ा को महसूस करने और उसे बांट लेने का जज्बा बेहद कम लोगों में होता है। इस मानवीय गुण से ओतप्रोत इक्का-दुक्का लोग समाज के लिए सद्भाव व समरसता का उदाहरण बनते हैं। उनके कर्म प्रशंसा के मोहताज नहीं होते। ऐसे अनुकरणीय लोगों में इस जिले के लिए गौरव सरीखे करतार केशव हैं। छह दशक से समाज की हर विधा में सकारात्मक पहल करने वाले इस शख्स ने पीड़ितों, दीनहीनों, जरूरतमंदों की सेवा कर मिसाल कायम की है।
नई पीढ़ी को दे रहे पैगाम:
1966 से समाज सेवा कर रहे 75 वर्षीय करतार केशव ने भावी पीढ़ी को अतीत से जोड़ने की पहल की है। दुनिया के सबसे बड़े जनांदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अनगिनत बलिदानियों की कहानी नई पीढ़ी तक पहुंचा रहे हैं। क्रांतिकारियों के देशप्रेम में किए गए त्याग को उनकी प्रतिमाएं लगा कर युवाओं को समकालीन चुनौतियों से निपटने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
छोटे काम बनते हैं उदाहरण:
यूपी रत्न से विभूषित करतार ने कहा कि बेहद छोटा माने जाना वाला काम भी यदि पूरे मनोयोग से किया जाए तो वह उदाहरण बन जाता है। इन्होंने बताया कि कुछ साल पहले एक गरीब मुस्लिम महिला मिली। उसकी सहायता के लिए उन्होंने शिक्षक बेटी से आर्थिक मदद लेकर बकरी खरीद कर दी। अब उस महिला के पास दर्जनों बकरियां हैं और वह बेहतर कारोबार कर रही है।
मरीजों की करते हैं देखभाल:
करतार ने जाति, धर्म, संप्रदाय से ऊपर उठकर मरीजों की सेवा की। रोजा के दौरान सड़क दुर्घटना में जख्मी मुस्लिम युवक को रक्त नहीं मिल रहा था। उसके लिए रक्त दान किया। सेप्टिक वार्ड के मरीजों की भी निरंतर देखभाल करते हैं। राजनीति से परहेज रखने वाले करतार जिगर मुरादाबादी की इन पंक्तियों-उनका जो फर्ज है वो अहले सियासत जाने। मेरा पैगाम मोहब्बत है, जहां तक पहुंचे, से प्रेरित हैं।