देवत्थानी एकादशी पर पूजे गए भगवान विष्णु
अषाढ़ माह की हरिशयनी एकादशी को भगवान विष्णु क्षीर सागर में शयन करने जाते हैं। इसके बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि योग निद्रा से जागते हैं। वहीं एकादशी को तुलसी व भगवान शालिग्राम के विवाह के पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।
सुलतानपुर : जिले में बुधवार को देवोत्थानी एकादशी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। लोगों ने घरों में रखी भगवान की मूर्तियों की पूजा कर उन्हें वस्त्र धारण कराए। साथ ही गन्ने व सिघाड़े का भोग लगाया। कई जगह रामायण पाठ, तुलसी विवाह व भंडारे के आयोजन किए गए।
अषाढ़ माह की हरिशयनी एकादशी को भगवान विष्णु क्षीर सागर में शयन करने जाते हैं। इसके बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि योग निद्रा से जागते हैं। वहीं एकादशी को तुलसी व भगवान शालिग्राम के विवाह के पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। इधर गन्ना किसान देवोत्थानी एकादशी पर्व के दिन खेतों में पूजा पाठ कर गन्ने की कटाई शुरू करते हैं। बुधवार को घरों में घंटा, घड़ियाल आदि के बीच भगवान विष्णु का पूजन अर्चन हुआ।
बाजारों में गन्ने व सिघाड़े की हुई बिक्री : डाकखाना चौराहा, शाहगंज, चौक, मेजरगंज, सब्जीमंडी, रेलवे स्टेशन गली में गन्ना, सिघाड़ा व शकरकंद की खूबी बिक्री हुई। लोगों ने पूजन के लिए गन्ने की खूब खरीदारी की। वहीं सिघाड़ों की भी खरीदे गए। 20 रुपये से लेकर 50 रुपये तक की कीमत में गन्ने बिके।
शुरू हुआ रामायण पाठ : रामकली स्कूल के निकट स्थित शिवमंदिर पर अनूप श्रीवास्तव के संयोजकत्व में रामायण पाठ का आयोजन किया गया। सुबह विधि-विधान से पूजन अर्चन के उपरांत इसका शुभारंभ हुआ। इसका समापन गुरुवार को होगा। संयोजक ने बताया कि एकादशी के दिन ही तुलसी विवाह भी संपन्न होता है। यह विवाह तुलसी के पौधे व भगवान विष्णु के रूप सालिगराम के बीच बोती है। सामान्य विवाह की तरह तुलसी विवाह भी धूमधाम से होता है।