पानी बंद होने के दस दिन बाद शुरू हुई सिल्ट सफाई
किसानों के लिए नहर से सिचाई फिर छलावा साबित होगी।
सुलतानपुर : नहरों से फसलों की सिचाई किसानों के लिए फिर छलावा साबित होगी। सिल्ट सफाई की औपचारिकता पूरी किए जाने से टेल तक पानी न पहुंचने की समस्या जस की तस बनी रहने की आशंका कायम है। ऐसे में किसानों को रबी फसलों की बुवाई निजी संसाधनों से करने को विवश हैं। साथ ही नहर में रोस्टर के मुताबिक तय तिथि पर पानी आने में भी संदेह बना है।
यहां नहरों का संजाल है और कुल कृषि क्षेत्र की तकरीबन 48 फीसद फसलों की सिचाई नहरों से होती हैं। शारदा सहायक के चार खंडों की 1006 किमी लंबी नहरें यहां हैं। बीती 18 अक्टूबर को वार्षिक सिल्ट सफाई के लिए यहां की बड़ी नहरों में लखीमपुर के शारदा बैराज से पानी की बंदी एक माह के लिए की गई हैं। पूर्व निर्धारित रोस्टर में 18 नवंबर को नहरों में पानी चलाया जाएगा। ऐसे में बीती 28 अक्टूबर को गोसाईगंज में माइनरों की सिल्ट सफाई का काम शुरू किया गया है। क्षेत्रीय किसानों ने आशंका जताई है कि 20 दिन में नहरें कैसे साफ हो सकेगी। काम फाइलों में निपटा लिया जाएगा और सिचाई के लिए उन्हें फिर भटकना पड़ेगा।
दोहरी मार झेलेंगे किसान : सिल्ट सफाई ठीक तरीके से न होने पर किसान दोहरी मार झेलने को विवश होंगे। नहरों में पानी देर से आने पर अगेती फसलों आलू, मटर, चना और अन्य सब्जी वर्गीय फसलों की बुवाई पिछड़ रही है। अधिक लागत से पानी का इंतजाम कर बुवाई करने वालों को बाद में सिचाई के लिए नहर में पानी का प्रवाह ठीक न होने से उन्हें फसल के पूरे सत्र में सिचाई के लिए जूझना पड़ेगा। अधिशाषी अभियंता सिचाई पंकज गौतम ने कहा कि एक से तीन सप्ताह में नहरों को उनकी लंबाई के अनुसार साफ कर लिया जाता है। सिल्ट सफाई में किसी तरह की कोताही नहीं बरती जाएगी।